नई दिल्ली
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब की राजनीति में नई पारी खेलने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस के खिलाफ खेले जाने वाली इस पारी में उन्हें दूसरे दलों से गठबंधन पर भी कोई ऐतराज नहीं है। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो सत्ता में बरकरार रहने की कोशिश में जुटी कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। बता दें कि पंजाब में अगले साल ही विधानसभा चुनाव हैं।
अपनी नई पारी में कैप्टन कितने असरदार साबित होंगे, यह तो वक्त तय करेगा। पर वह जितना भी वोट हासिल करेंगे, उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा। पंजाब कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि कैप्टन का पटियाला और उसकी आसपास की सीट पर असर है। वह अकेले सभी सीट पर भी चुनाव लड़ते हैं, तो उनके इक्का दुक्का उम्मीदवार जीत दर्ज कर पाएंगे। कांग्रेस की मुश्किल कैप्टन से ज्यादा भाजपा है। पार्टी नेता मानते हैं कि कैप्टन और भाजपा के बीच गठबंधन होता है, तो चुनौती बढ़ सकती है। क्योकि, आम आदमी पार्टी खुद को मजबूत कर रही है और अकाली दल व बसपा गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में कई सीट पर चौकोणीय संघर्ष हो सकता है। वहीं, शहरी सीट पर कैप्टन-भाजपा का पलड़ा भारी हो सकता है।
छह से आठ विधायक बदल सकते हैं पाला
पंजाब में सवर्ण हिंदू मतदाता भाजपा अकाली गठबंधन को वोट करते रहे हैं, पर वर्ष 2017 के चुनाव में हिंदू मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी के मुकाबले कांग्रेस को तरजीह दी थी। इसमें कैप्टन की राष्ट्रवादी छवि ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी। ऐसे में हिंदू मतदाता कांग्रेस से छिटक सकता है। हिंदू मतदाता पार्टी का हाथ छोड़ता है, तो शहरी क्षेत्र में नुकसान हो सकता है। इसके साथ पार्टी के कई विधायक भी चुनाव से पहले पाला बदल सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पंजाब कांग्रेस टूट सकती है। कैप्टन के करीबी पदाधिकारी और विधायक चुनाव से पहले पाला बदल सकते हैं। उनके मुताबिक, विधायकों की संख्या छह से दस तक हो सकती है। वह मानते हैं कि पार्टी को अभी से इसकी तैयारी शुरू करनी होगी।