Wednesday, January 22

तालिबान को अभी मान्यता नहीं देगा भारत, पर अफगान की करता रहेगा मानवीय मदद

तालिबान को अभी मान्यता नहीं देगा भारत, पर अफगान की करता रहेगा मानवीय मदद


 नई दिल्ली 
तालिबान के ऊपर दबाव बनाए रखते हुए भारत, अफगानिस्तान के लोगों से अपने जुड़ाव को भी कायम रखना चाहता है। लिहाजा यूएन की ओर से अफगान लोगों की मदद के लिए मानवीय आधार पर सहायता की मुहिम में भारत भी शामिल हो सकता है। लेकिन भारत, तालिबान व्यवस्था को मान्यता देने के पक्ष में फिलहाल नहीं है। बता दें कि 15 अगस्त को अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था।

भारत अपने इस रुख पर कायम है कि वर्तमान व्यवस्था से आतंक और कट्टरपंथ का प्रसार होने की आशंका है। अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंक के लिए न हो इसके लिए वैश्विक दबाव बनाए रखने की भारत की मुहिम भी जारी रहेगी। सूत्रों ने कहा कि भारत अफगानिस्तान के लोगों से अपने परंपरागत रिश्तों को बनाए रखना चाहता है। अफगानिस्तान के लोगों की मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए भारत की ओर से मानवीय आधार पर सहायता की बात की जा रही है। लेकिन भारत ये भी चाहता है कि यूएन सहित विभिन्न देशों की ओर से दी जा रही मदद का दुरुपयोग न हो। 

सूत्रों ने कहा कि भारत अपने लोगों की सुरक्षा और मौजूदा स्थिति में अफगानिस्तान में कूटनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के मकसद से मॉस्को फॉर्मेट की वार्ता में शामिल हुआ है। भारत को पहले की वार्ताओं में शामिल नही किया गया था। लेकिन बदली परिस्थितियों में रूस सहित विभिन्न देशों को लगने लगा है कि भारत की इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका है। क्योंकि तालिबान शासन में आतंकी गुटों के फलने फूलने और हमलों का खतरा सभी देशों को नजर आ रहा है। खासतौर पर अमेरिका और रूस दोनों की चिंता आतंकवाद के मसले पर समान हैं।
 
वहीं, तालिबान की अंतरिम सरकार के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफ़ी ने कहा है कि अफगानिस्तान अब स्थिर है और किसी भी देश को इससे खतरा नहीं होगा। मास्को वार्ता में मंगलवार को अफगानिस्तान पर बोलते हुए हनफी ने कहा कि तालिबान यह सुनिश्चित करेगा कि कोई खतरा न हो। तालिबान की अंतरिम सरकार को मान्यता देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान को अलग-थलग करने से किसी को फायदा नहीं होगा।

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