नई दिल्ली
दिवाली के बाद दिल्ली समेत कई राज्यों में प्रदूषण बढ़ गया है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) भी गंभीर और अति-गंभीर श्रेणी में चला गया है। बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रदूषण का बढ़ना कोरोना वायरस के मामलों में भी बढ़ोतरी कर सकता है। गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस प्रदूषण में ज्यादा समय तक रहता है। डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शुक्रवार (05 नवंबर) को देश के कई हिस्सों में दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' और 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया है, ऐसे में सभी नागरिकों को मास्क पहन कर रखना चाहिए। खासकर ऐसे समय में जब प्रदूषण बढ़ रहा है क्योंकि वायु की गुणवत्ता खराब होने से कोरोना के और भी गंभीर मामले हो सकते हैं।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने अस्थमा, फेफड़ों की बीमारियों और श्वसन संबंधी विकारों से पीड़ित लोगों को उचित सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि प्रदूषण का इतना बढ़न, उनके स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डाल सकती है। डॉ गुलेरिया ने खुद को कोरोना के साथ-साथ वायु प्रदूषण से बचाने के लिए फेस मास्क को पहनने की भी सलाह दी है।
एएनआई से बात करते हुए,डॉ गुलेरिया ने कहा, ''प्रदूषण का श्वसन स्वास्थ्य पर खासकर फेफड़ों की बीमारियों, अस्थमा से पीड़ित लोगों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है क्योंकि उनकी बीमारी प्रदूषण से और भी बिगड़ जाती है। प्रदूषण से कोरोना के और भी गंभीर मामले सामने आ सकते हैं। मास्क पहनना चाहिए क्योंकि यह कोरोना और प्रदूषण दोनों से सुरक्षा में मदद करेगा।''
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हमारे पास कई ऐसे डेटा है, जिससे पता चलता है कि कोरोना वायरस प्रदूषण में अधिक देर तक रहता है। जिन इलाकों में प्रदूषण अधिक होता है, वहां कोरोना के मामले अधिक हो सकती है।