नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि नीट अखिल भारतीय कोटे में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) और ओबीसी के लिए आठ लाख रुपये की सालाना आय का मानक मनमाना नहीं है। बिल्कुल सही है। गंभीर अध्ययन के बाद ये मापदंड तय किए गए हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने मंगलवार को कोर्ट में दिए शपथपत्र में यह जानकारी दी। सरकार ने कहा, ईडब्ल्यूएस श्रेणी का निर्धारण सिंहो रिपोर्ट के आधार पर किया गया है।
ऐसे किया निर्धारण
केंद्र ने कहा कि 2016 में ओबीसी की क्रीमी लेयर सीमा छह लाख थी, 2017 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर इसे बढ़ाकर आठ लाख किया गया। इसके बाद ईडब्ल्यूएस के लिए आय का यह मानक अपनाया। शीर्ष अदालत के समक्ष सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया कि राशि तय करने का सिद्धांत तर्कसंगत और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत है।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर का निर्धारण करने के वास्ते अपनाया गया तरीका ईडब्ल्यूएस श्रेणी के निर्धारण के लिए समान रूप से लागू होगा क्योंकि मूल आधार यह है कि यदि किसी व्यक्ति/उसके परिवार की आर्थिक स्थिति पर्याप्त मजबूत है, तो उसे दूसरों के खर्च पर आरक्षण के लाभों की आवश्यकता नहीं हो सकती।
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस. आर. सिन्हा आयोग का गठन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 2010 में किया था और इसने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए कल्याणकारी उपायों की सिफारिश की थी। मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के निर्धारण के मानदंड सभी संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार किए गए थे।