भोपाल
अप्रैल 2020 में कोविड के संक्रमण की शुरूआत से लेकर कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत (मार्च 2021) के बीच प्रदेश में 2066 प्रसूताओं की मौत हुई है। प्रदेश में सबसे ज्यादा 202 गर्भवती महिलाओं की मौत भोपाल में हुई है। प्रदेश में प्रसूताओं की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हायपरटेंशन और फिट्स (मिर्गी के जैसे झटके ) के कारण होना बताया गया है। इसके अलावा 1348 महिलाओं की मौत एनीमिया, लिवर, हार्ट, किडनी, रेस्पेरेटरी डिसीज और एनेस्थेटिक कांपलीकेशन की वजह से हुई है। यह खुलासा एनएचएम की मेटरनल डेथ रिव्यू रिपोर्ट 2020 – 21 में हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक प्रसूताओं की मौत के मामले में प्रदेश में सबसे खराब स्थिति भोपाल की है। यहां 1 अप्रैल 2020 से लेकर 30 मार्च 2021 के बीच 202 प्रसूताओं की जान गई है। इनमें से 37 गर्भवती महिलाओं की जान, उन्हें डिलीवरी के लिए घर से अस्पताल और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल शिफ्ट करने के दौरान हुई। इसी तरह जबलपुर में 140 और सागर में 102 गर्भवतियों की मृत्यु हुई है, जो भोपाल के बाद किसी भी दूसरे जिले में प्रसूताओं की मौत की सबसे ज्यादा हैं।
हायपरटेंशन से भोपाल में , ब्लीडिंग से जबलपुर में ज्यादा मौत हाईब्लड प्रेशर (हायरपटेंशन, फिट्स) के कारण भोपाल में 67 प्रसूताओं की मौत हुई है। जो राज्य में हाइपरटेंशन के कारण की मौत की सबसे बड़ी संख्या है। जबकि ब्लीडिंग से जबलपुर में 27 और तेज बुखार से रीवा में 17 की मृत्यु हुई है।
अब हाई रिस्क कैटेगरी की महिलाओं को सुमन एप ट्रेक करेगा
हाई रिस्क कैटेगरी की गर्भवती महिलाओं को सुमन एप के मार्फत ट्रेक करने की व्यवस्था शुरू की है। इन महिलाओं को डिलीवरी के लिए सीधे स्पेशिलिटी सेंटर अथवा हायर ट्रीटमेंट सेंटर रैफर करेंगे। इससे मौत की संख्या में कमी आएगी। -प्रियंका दास, एमडी, एनएचएम , एमपी