भोपाल
प्रदेश के 89 विकासखंडों में आदिवासियों द्वारा बनाई जाने वाली शराब को हेरिटेज शराब का दर्जा देने के साथ सरकार इसके निर्माण को लेकर कई शर्तें रखने की तैयारी में है। इसमें सबसे अधिक फोकस इस बात पर रखा जाएगा कि शराब की गुणवत्ता बनी रहे और उसे पीकर जहरीली शराब जैसे हादसे न हों। इसके लिए आबकारी नीति में किए जाने वाले संशोधन में इन प्रावधानों पर विशेष फोकस किया जाएगा।
वाणिज्यिक कर विभाग आबकारी नीति में बदलाव को लेकर ड्राफ्ट तैयार कर रहा है जो विधानसभा के शीत सत्र के पहले कैबिनेट से अनुमोदित किया जाएगा। इसमें जो प्रावधान अब तक तय हुए हैं उसके मुताबिक महुआ शराब टैक्स फ्री होगी। इस शराब को हेरिटेज शराब का नाम देने की घोषणा सीएम चौहान कर चुके हैं। अब तक तय प्रावधानों के अनुसार इस शराब को टैक्स फ्री किया जाएगा क्योंकि आदिवासियों की आमदनी के लिए सरकार ने इसे शराब दुकानों के जरिये बिक्री कराने का निर्णय लिया है। ठेकेदार डिमांड के अनुसार शराब इनसे लेकर उसे बेचने का काम कर सकेंगे। इसके साथ ही इसमें यह प्रावधान भी होगा कि इसमें आसवनी और अन्य ऐसे पदार्थों का सम्मिश्रण करना होगा जिससे शराब की क्वालिटी में सुधार हो और उसकी गुणवत्ता में शिकायत न आए।
वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा इसके लिए यह भी व्यवस्था तय करने की तैयारी है कि शराब बनाने वाले आदिवासियों के अलग-अलग विकासखंडों में समूह बनाए जाएं। इन समूहों को शराब के निर्माण से लेकर बिक्री तक की प्रक्रिया की बाकायदा टेÑनिंग दी जाएगी। इसके आधार पर ही शराब बनाने की अनुमति आदिवासी विकासखंडों में दी जाएगी।
अभी तक आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आदिवासी परिवारों द्वारा परम्परागत महुआ शराब का निर्माण किया जा रहा है। इसके चलते कई बार आबकारी और पुलिस अधिकारियों द्वारा इस शराब के निर्माण पर उसे अवैध बताते हुए कार्यवाही की जाती है। प्रदेश में हुए उपचुनाव से पहले सीएम चौहान ने यह ऐलान किया था कि परम्परागत शराब निर्माण को वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। इसके लिए पालिसी में संशोधन किया जाएगा ताकि आदिवासी परम्परा का निर्वहन करने के साथ आमदनी भी हासिल कर सकें।