पटना
बिहार में राजस्व संबंधी नियम-कानून में ढेर सारे क्लाॅज अब भी इस्ट इंडिया कंपनी की जरूरत के हिसाब से दर्ज हैं. उन्हें हटा कर आज की जरूरत के अनुसार बिहार में मास्टर एक्ट बनाया जायेगा. इसमें राजस्व संबंधी सभी नियम-उपनियम एक साथ समाहित होंगे. अनसर्वेड लैंड व टोपो लैंड का ड्रोन सर्वे कराने पर राज्य सरकार विचार कर रही है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ’जमीनी बातें’ नाम की कार्यशाला में निर्णय लिया गया कि राजस्व एवं भूमि संबंधी मामलों में 1959 में बने मध्यप्रदेश लैंड रेवेन्यू कोड मॉडल हो सकता है. कार्यशाला में उन बिंदुओं की पहचान की गयी, जिसमें मध्यप्रदेश से बिहार सीख सकता है.
मध्यप्रदेश की वे बातें, जिन्हें बिहार अपनाने जा रहा है
मध्यप्रदेश के तहसीलदार/ नायब तहसीलदार राजस्व का काम करते हैं, उसी तरह बिहार में अंचल अधिकारी और राजस्व अधिकारियों को एक दूसरे का पूरक बनाया जायेगा. दाखिल-खारिज का काम अंचल अधिकारी से लेकर राजस्व अधिकारी को दिया जा सकता है.
मध्यप्रदेश में नायब तहसीलदार, तहसीलदार और अतिरिक्त तहसीलदार के पद हैं, जो म्युटेशन के अलावा विवादित बंटवारे का काम भी देखते हैं. बंटवारे के बारे में छह महीने में फैसला देने का नियम है. इसके खिलाफ अपील के लिए एसडीओ, कलेक्टर और आयुक्त के कोर्ट हैं, इसे अपनाया जायेगा.
मध्य प्रदेश में ग्राम पटेल/कोटवार से लेकर डिप्टी कमिश्नर लैंड रिकाॅर्ड तक के कैडर को बिहर में भी बनाने की जरूरत है. जीआइएस आधारित सीमांक एप को कोई भी अपने मोबाइल में डाउनलोड करके उसके सहारे प्लाॅट की मापी कर सकता है. इसके लिए अमीन की जरुरत नहीं है. इसकी संभावना तलाशने के लिए कहा गया है.
राजस्व विभाग राजस्व कर्मचारी-सह-अमीन के संयुक्त कैडर बनाने की संभावना पर भी विचार कर रहा है. एमपी के आरसीएमएस पोर्टल के तर्ज पर अपना एक पोर्टल और एक एप बनाने की आवश्यकता भी महसूस की गयी. इस पोर्टल के जरिये बैंक लोन के आवेदनों को बैंक ऑनलाइन मंजूरी देते हैं. रैयत को अलग से भू-दस्तावेजों देने की जरूरत नहीं पड़ती.
जमीन के इस्तेमाल में बदलाव के अधिकार को एसडीएम के अतिरिक्त डीसीएलआर को दिया जाये. मध्यप्रदेश में इसके लिए आॅनलाइन सिस्टम है. मामूली शुल्क का ऑनलाइन भुगतान करके वहां संपरिवर्तन का प्रमाणपत्र बनवाया जा सकता है.