भोपाल
मध्य प्रदेश समेत देशभर में सरकारी और निजी कालेजों में दाखिले के लिए नीट पीजी काउंसलिंग में देरी से नाराज जूनियर डाक्टरों ने सोमवार को सेवाएं नहीं देने का निर्णय लिया है। उनकी हड़ताल की वजह से ओपीडी, वार्ड, आपरेशन थियेटर में मरीजों को मिलने वाली सेवाएं प्रभावित होंगी। मप्र जूडा ने कहा कि एक दिन की हड़ताल के बाद भी उनकी मांग पर भारत सरकार ने नहीं मानी तो आगे के आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।
मप्र जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. अरविंद मीणा ने कहा कि फेडरेशन आफ रेसीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (फोर्डा) और अन्य संगठनों ने शनिवार को भी ओपीडी व अन्य सेवाएं बंद करने को कहा था, लेकिन मरीजों को परेशानी न हो इसलिए मध्य प्रदेश में शनिवार को आंदोलन टाल दिया गया था।
आंदोलन की वजह
एमडी-एमएस का सत्र हर साल एक जून से शुरू होता है। इस साल कोरोना की वजह से पहले तो परीक्षा में देरी हुई। इसके बाद अब काउंसलिंग में देरी के चलते दाखिले नहीं हो पा रहे हैं। आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है। जूडा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। जूनियर डाक्टर्स की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द से जवाब दे, जिससे मामले का जल्दी निराकरण होकर काउंसलिंग शुरू हो सके। जूडा का कहना है कि काउंसलिंग में देरी से एक तो दाखिला लेने वाले बैच का सत्र देर से शुरू होगा। दूसरी बात यह कि प्रथम वर्ष के जूनियर डाक्टर नहीं होने की वजह से द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों पर दबाव बढ़ा है। तृतीय वर्ष के छात्र थीसिस तैयार करने में लगे हैं। ऐसे में प्रदेश में तीनों साल के मिलाकर 1800 जूनियर डाक्टरों की जगह सिर्फ द्वितीय वर्ष के ही 500 जूनियर डाक्टर काम कर रहे हैं।