Monday, September 16

मुख्यमंत्री चौहान ने डॉ. गौर की जयंती पर किया नमन

मुख्यमंत्री चौहान ने डॉ. गौर की जयंती पर किया नमन


भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ. हरिसिंह गौर की जयंती पर उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री चौहान ने निवास स्थित सभागार में उनके चित्र पर माल्यार्पण किया।

डॉ. हरिसिंह गौर, सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षाशास्त्री, ख्याति प्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद्, समाज सुधारक, साहित्यकार, महान दानी और देशभक्त थे। वे बीसवीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों में से थे। डॉ. गौर दिल्ली विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। भारतीय संविधान सभा के उप सभापति, साइमन कमीशन के सदस्य तथा रायल सोसायटी फॉर लिटरेचर के फेलो भी रहे।

डॉ. गौर ने 18 जुलाई 1946 को सागर में सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। वे इस विश्वविद्यालय के संस्थापक, उप कुलपति तो थे ही, अपने जीवन के आखिरी समय (25 दिसम्बर 1949) तक विश्वविद्यालय के विकास और उसे सहेजने के प्रति संकल्पित रहे। उनका स्वप्न था कि सागर विश्वविद्यालय, केम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड जैसी मान्यता हासिल करे।

सागर में डॉ. हरिसिंह गौर ऐसा अनूठा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना एक शिक्षाविद् के योगदान से की गई। डॉ. हरीसिंह गौर का जन्म सागर जिले में 26 नवम्बर 1870 को हुआ था। उन्होंने सागर के ही गवर्मेंट हाईस्कूल से मिडिल शिक्षा प्रथम श्रेणी में हासिल की।

डॉ. हरिसिंह गौर ने छात्र जीवन में ही दो काव्य संग्रह और दि स्टेपिंग वेस्टवर्ड एण्ड अदर पोएम्स एवं रेमंड टाइम की रचना की। इस रचना के लिए उन्हें सुप्रसिद्ध रायल सोसायटी ऑफ लिटरेचर द्वारा स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। गौर साहब की वर्ष 1929 में "स्प्रिट आफ बुद्धिज़्म" शीर्षक से लिखी पुस्तक की प्रस्तावना कविवर रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखी गई थी।

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