भोपाल
नगर निगम कंगाली की हालत से निकालने के लिये अब नए सिरे से कवायद शुरू हो गई है। इसके चलते यहां करोड़ों रुपयों के उन घोटालों की फाइलों को खोला जा रहा रहा है जिनके कारण निगम कंगाली की स्थिति तक पहुंच गया है। नये संभाग आयुक्त गुलशन बामरा ने गत दिनों निगम की समीक्षा बैठक में इसके संकेत दिये थे कि जिन घोटलों को कागजी जांच के बाद भुला दिया गया उनके दोषियों को तत्काल पकड़ा जाए। इनमें सबसे ऊपर है शहर का होर्डिंग्स घोटाला।
चार साल पहले नगर निगम में 300 करोड़ रुपए का होर्डिंग घोटाला सामने आया था। इसमें जिन 1056 होर्डिंग्स को हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगम ने हटाया था और बाद में उनको अगले तीन साल के लिए टेंडर और आॅफर बुलाए बिना रिन्यू कर दिया गया था। दिसंबर 2014 में पिछली निगम परिषद की बैठक में गुपचुप तरीके से होर्डिंग संचालकों के पक्ष में यह फैसला लिया गया था। उस समय तत्कालीन निगम कमिश्नर तेजस्वी एस. नायक ने फैसले को गलत मानते हुए हाल में इसे राज्य शासन को भेजा था। शासन ने फैसला रद्द कर दिया पर दोषियों पर कार्यवाही नहीं की गयी।
गौरतलब है कि निगम के आंकड़ों में शहर में 750वैध होर्डिंग्स को परमीशन दी गयी है लेकिन आलम यह है कि पूरे शहर में 10 हजार से अधिक अवैध होर्डिग्स लगे हैं। निगम को इनको जोन और वार्ड स्तर पर इनकी जांच कर इनको हटाना था लेकिन किसी भी जगह पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। ं
भोपाल शहर में बिना अनुमति के होर्डिंग्स लगाने के मामले में करीब सात 700 नोटिस जारी हुये थे जिन पर 15 दिन के अंदर कार्यवाही की जानी थी, लेकिन इस दिशा में भी कुछ नहीं हुआ। इन पर अब पुलिस बल का सहयोग लेकर कार्यवाही की जानी थी लेकिन उसको भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। भोपाल शहर में बिना अनुमति होर्डिंग लगाने वाले करीब 700 व्यक्तियों को नोटिस जारी किये गये थे पर बाद में इस को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।