कानपुर
मुख्यमंत्री जी, कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय 22 मई 2021 को आपने केडीए सभागार में बैठक करके जिले की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताई थी। सुधार के लिए कई आवश्यक दिशा निर्देश अफसरों को दिए थे। उस बैठक के 172 दिन बाद भी तमाम निर्देशों पर अमल नहीं हो पाया है। स्थिति पहले जैसे ही है। शहर की सेहत सुधर नहीं पाई है।
केजीएमयू और एसजीपीजीआई की तरह मेडिकल कालेज लीडर की भूमिका में नहीं आ पाया है। हैलट और उर्सला में शहर के ही नहीं, आसपास के जिलों के रोगी भी इलाज के लिए आते हैं। सरकारी अस्पतालों में जांचों की पूरी व्यवस्था नहीं है। भर्ती होने के बाद रोगी जांच के लिए निजी सेंटरों पर जाते हैं। उनसे मनमानी फीस वसूली जाती है।
हालात ये हैं कि उर्सला में सीटी स्कैन मशीन शुरू नहीं हो पाई है। यहां का आईसीयू अभी भी अवैध रूप से संचालित हो रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्रस्तावों की फाइलें अभी भी शासन में अटकी हुई हैं। कोरोना की तीसरी लहर आई होती तो हालात पहले की तरह भयावह होते। अगर शासन के अफसर फाइलों में अपनी कलम जरा सी घुमा दें तो समस्या निपट जाएगी। इससे रोगियों को बहुत राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने हैलट में ब्लैक फंगस का सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक इसकी बुनियादी प्रक्रिया तक शुरू नहीं हो पाई है। ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज की व्यवस्था सिर्फ हैलट में ही रही है। अगर ब्लैक फंगस का फिर हमला शुरू हुआ तो स्थिति पहले जैसी ही रहेगी। सेंटर बन जाने पर पोस्ट कोविड रोगियों के अलावा दूसरों को भी सुविधा मिलती। बहुत से ब्लैक फंगस रोगी ऐसे रहे, जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था।
मुख्यमंत्री ने चाचा नेहरू अस्पताल कोरोना की तीसरी लहर के पहले शुरू करने के निर्देश दिए थे। उस वक्त माना जा रहा था कि अगस्त में तीसरी लहर आ सकती है। नवंबर आ गया है, लेकिन अस्पताल का अभी शुरूआती काम भी नहीं हो पाया है। घनी आबादी वाले कोपरगंज इलाके के इस अस्पताल के शुरू होने से लोगों को बहुत राहत मिलती। चाचा नेहरू अस्पताल के पुनरुद्धार में कोई विभाग अधिक दिलचस्पी नहीं ले रहा है।
कोरोना की दूसरी लहर में भी पीएमएसएसवाई का मल्टी सुपर स्पेशिएलटी हॉस्पिटल नहीं चल पाया। मसला सिर्फ बिजली और पानी के कनेक्शन का है। यहां केस्को को एक सबस्टेशन बनाना था, वह भी नहीं हो सका। अस्पताल चालू होने में देरी होने से आम आदमी सुपर स्पेशिएलटी के इलाज से वंचित है।
उर्सला अस्पताल में दो साल पहले कार्डिएक यूनिट बनी है। एक कार्डियोलॉजिस्ट और दूसरे स्टाफ की नियुक्ति न होने के कारण यूनिट शुरू नहीं हो पा रही है। इसमें वेंटिलेटर भी लगे हुए हैं। फाइल शासन में है। इसी तरह एक अनेस्थेटिस्ट न होने के कारण उर्सला का पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट चालू नहीं हो पा रही है। बालरोगियों को हैलट रेफर करना पड़ता है।
हैलट और उर्सला में सीटी स्कैन की जांच शुरू नहीं हो पाई है। हालत यह है कि रोगी निजी सेंटरों में जांच के लिए जाते हैं। उर्सला और हैलट का प्रस्ताव शासन में लंबित है। कोरोना होने के बाद सांस के रोगियों की सीटी स्कैन बुनियादी जांच हो गई है। दो मुख्य अस्पतालों में रोगियों को यह भी सुविधा नहीं मिल पा रही है।