भोपाल
मंत्रालय में पदस्थ एक कर्मचारी को दस साल पहले समयमान वेतनमान दे दिया गया। वित्त विभाग ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई तो कर्मचारी के समयमान वेतनमान की पात्रता तय करन ेके लिए समिति बनी और उसमें चर्चा के बाद अब ज्यादा दिए गए वेतन की वसूली करने का निर्णय लिया गया है।
मामला मंत्रालय में पदस्थ सहायक ग्रेड तीन केएस बिजू का है। राज्य की सिविल सेवा के सदस्यों को सेवा में आगे बढ़ाने के लिए निश्चित अवसर उपलब्ध कराये जाने के लिए राज्य शासन ने समयमान वेतनमान योजना को विस्तारित करते हुए शासकीय सेवकों को न्यूनतम तीन स्तरीय उच्च वेतनमान उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था। वित्त विभग ने24 जनवरी 2008 को मध्यप्रदेश मंत्रालय के सहायक ग्रेड तीन को दस वर्ष की सेवा पूरी होने पर पहला उच्चतर समयमान वेतनमान दिए जाने के निर्देश दिए थे। यह निदे्रश एक अप्रैल 2006 से लागू किए गए थे। सामान्य प्रशासन विभग ने सहायक ग्रेड तीन की प्रथम नियुक्ति की दिनांक से समयमान वेतनमान के लिए सेवा अवधि की गणना किये जाने संबंधी निर्देश प्रदान किए थे।
इन निर्देशों को ध्यान में रखते हुए केएस बिजू को 22 अप्रैल 2006 से समयमान वेतनमान स्वीकृत कर दिया गया। संचालक कोष एवं लेखा ने इस प्रकरण में आपत्ति ली इसके बाद प्रकरण का पुन: परीक्षण कराया गया। बिजू की नियुक्ति 22 अप्रैल 96 को हुई थी। चालीस वर्ष की आयु पूरी करने पर उन्हें टाईपिंग परीक्षा से छूट प्रदान करते हुए मई 2012 द्वारा उन्हें दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्त किया गया। संचालक कोष एवं लेखा की आपत्ति का निराकरण करने विभागीय चयन समिति की बैठक हुई। उसमें यह तय किया गया कि केएस बिजू को 4 मई 2012 से समयमान वेतना की पात्रता है। इसलिए उन्हें पहले दिए गए अधिक भुगतान की वसूली करने का निर्णय लिया गया।