अहमदाबाद
कोरोना महामारी से गुजरात में लाखों लोग जूझे। सरकारी आंकड़ों में कोरोना से यहां लगभग 10 मौतें दर्शाई गईं। हालांकि, विपक्षी दलों ने इन आंकड़ों को झूठा बताया और कहा कि गुजरात में कोरोना से 2 लाख लोगों ने जान गंवाई है। सरकार और विपक्ष की आपसी बयानबाजी से इतर राज्य में लगभग एक लाख परिवारों ने मुआवजे का दावा किया है, जिनका कहना है कि उनके सगे-संबंधियों की कोरोना से जान चली गई। सरकार, यह बात मानने को तैयार नहीं है। यह बात बड़ा मुद्दा बन गई है। हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा स्पष्टीकरण हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा स्पष्टीकरण कोरोना से मौतों पर बहस अब अहमदाबाद उच्चतम न्यायालय (हाईकोर्ट) पहुंच गई है।
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में सरकार की खिंचाई की है। कोरोना से मारे गए लोगों को मुआवजा देने के सवाल पर न्यायालय ने गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि, "मुआवजा दिया जाए..ऐसा करके सरकार लोगों पर उपकार नहीं कर रही। जिन्होंने अपनों को खोया है, वे मुआवजे के लिए क्लैम कर रहे हैं।" उच्चतम न्यायालय ने सरकार से ये जवाब मांगा है कि, अधिकृत आंकड़े जो हैं, वो भी दें। कोरोना से मारे गए लोगों के नाम, मौत की तारीख तथा उनके पते की सूची तैयार कर न्यायालय के समक्ष पेश करें।
50-50 हजार रुपए दिया जा रहा मुआवजा 50-50 हजार रुपए दिया जा रहा मुआवजा राज्य सरकार ने कुछ दिनों पहले न्यायालय में कहा था कि, गुजरात सरकार कोरोना की वजह से मारे गए लोगों के परिजनों (आश्रितों) को 50-50 हजार का मुआवजा दे रही है। जिनके आवेदन आए हैं, उनकी सत्यता जांचकर मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं, लगभग एक लाख परिवारों की ओर से की जा रही मुआवजे की मांग पर सरकार चुप है। इस पर न्यायालय ने कहा है कि, कल्याणकारी राज्य में सरकार महामारी में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देकर उपकार नहीं कर रही, बल्कि यह उसकी जिम्मेदारी है।
न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि आप अपने आंकड़े पेश कीजिए..कैसे हैं। सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि, गुजरात में कोरोना संक्रमण से 10580 के लोगों की जान जाने की पुष्टि हुई है, 7 फरवरी को यह आंकड़ा कुछ बढ़कर 10688 हो गया। मगर, कोरोना से जिन परिवारों में मौत हुई है ऐसे करीब 1 लाख परिवार मुआवजे का दावा कर रहे हैं। बहस का मुद्दा यही बन गया है कि, क्या सरकारी आंकड़े सच नहीं हैं, या फिर इतने सारे आवेदन ही गलत आए हैं।

