जिनेवा
कोरोना वायरस के ओमीक्रोन वेरिएंट से मची दहशत पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अच्छी खबर दी है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि ओमीक्रोन के ज्यादातर मामले 'हल्के' हैं और वर्तमान कोरोना वैक्सीन को अस्पताल में भर्ती कराए जाने और मौतों के खिलाफ उच्च स्तर की सुरक्षा देनी चाहिए। हालांकि डब्ल्यूएचओ प्रवक्ता ने यह भी कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि ओमीक्रोन म्यूटेंट स्ट्रेन डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है। यहां तक कि वैक्सीन की सारी डोज लेने वाले भी इससे बच नहीं पा रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ के अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि इस बात के कोई संकेत नहीं है कि वर्तमान वैक्सीन अस्पताल में भर्ती कराए जाने और मौतों की संख्या को कम रखने में कम प्रभावी होंगी। यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि डब्ल्यूएचओ किस साक्ष्य की ओर इशारा कर रहा है। इसके बावजूद अब डब्ल्यूएचओ ने पहली बार आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया है कि डेल्टा वेरिएंट की तरह से ओमीक्रोन वेरिएंट दुनिया में तबाही नहीं मचाएगा जैसाकि शुरू में आशंका जताई गई थी।
दक्षिण अफ्रीका में 10 लाख की आबादी पर 46 मामले सामने आए
ओमीक्रोन के खतरे के बाद भी दक्षिण अफ्रीका में अभी भी आबादी के लिहाज से ब्रिटेन और अमेरिका की तुलना में कम कोरोना मामले आए हैं। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में 10 लाख की आबादी पर 46 मामले सामने आए हैं। वहीं ब्रिटेन में 10 लाख की आबादी पर 628 और अमेरिका में 246 मामले सामने आए हैं। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना केस बढ़े हैं लेकिन अभी भी कम हैं। दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रोन के 172 मामले आए हैं और नए वेरिएंट से पीड़ित मरीजों में बहुत हल्के लक्षण देखे गए हैं।
इस बीच कोविड-19 के ओमीक्रोन वेरिएंट ने बुधवार को दुनिया की परेशानी और बढ़ा दी क्योंकि जापान ने यात्रा प्रतिबंधों को कड़ा कर दिया। वहीं, वायरस के नये स्वरूप से संक्रमण के मामले कुछ और स्थानों पर सामने आए हैं और नये साक्ष्य से यह स्पष्ट हो गया है कि यह स्वरूप सोचे गये समय से हफ्तों पहले से व्याप्त था। ओमीक्रोन के बारे में ज्यादा जानकारी अभी नहीं है, जैसे कि यह कितना संक्रामक है, क्या यह टीकों को चकमा दे सकता है आदि। हालांकि, यूरोपीय आयोग प्रमुख ने स्वीकार किया है कि विश्व को इस बारे में वैज्ञानिकों का और जवाब देना लंबा खींच सकता है।