संगरूर
स्थानीय मैगजीन मोहल्ले में स्थित जैन स्थानक में महासाध्वी कर्णिका महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए फरमाया कि जो मनुष्य धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है। बाकी सभी चीजें नाश्वर हैं। धर्म ही व्यक्ति के लोक परलोक में सहायक बनता है। धर्म एक कोहिनूर हीरा है। साध्वी ने कहा कि धर्म के कारण सेठ सुदर्शन ने शूली को भी सिंहासन बना लिया था। उन्हें धर्म पर अटूट श्रद्धा थी। एक बार भगवान महावीर स्वामी राजगृह नगरी में पहुंचे। राजा श्रेणक अपनी पत्नी व बच्चे अभय कुमार सहित भगवान के पास पहुंचे। बेटे अभय कुमार ने भगवान से पूछा कि सबसे बड़ा मंगल क्या है। तो भगवान ने कहा कि सबसे बड़ा मंगल धर्म है। इसलिए शुरू से साधु संत लोगों को धर्म अपनाने और उसकी रक्षा करने को प्रेरित आए हैं। श्रमी गौरव चंदना महाराज ने कहा कि विदेश से धन कमाकर घर आ रहे सेठ को साठ डाकुओं ने घेर लिया। सेठ ने उनमें से दो डाकुओं को नाम लेकर बुलाया। डाकूओं ने कहा कि हमने सेठ का नमक खाया है। इसलिए इसे नहीं लूटेंगे। डाकू आगे चले गए। ऐसे में यदि साठ घड़ी में दो घड़ी भगवान का नाम लिया जाए, तो वह दो घड़ियां हमे जम से बचा सकती हैं।