Thursday, November 30

प्रतिबंधित थाइलैंड प्रजाति की मांगुर मछली का पालन जिले के अनेक तालाबो मे

प्रतिबंधित थाइलैंड प्रजाति की मांगुर मछली का पालन जिले के अनेक तालाबो मे


जैजैपुर
छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश मे थाइलैंड प्रजाति की मांगुर मछली का पालन प्रतिबंधित होने के बाद भी जिले के कई गांवो मे लोगों के द्वारा निजी तालाबो और डबरियो में इस खतरनाक मछली का पालन किया जा रहा है और निश्चित रुप से जब पालन किया जा रहा है तो बाजार मे बेचा भी जाता रहा है। मिली जानकारी के अनुसार जिले के अनेक गांवो मे प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली का पालन.किया जा रहा है। इस मछली को प्रतिबंधित किये जाने के पीछे.कारण बताया जा रहा है कि यह मछली स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत हानिकारक है। इसमे प्रोटीन और विटामिन ई के साथ आयरन तो है परंतु कैसर.के कारक लेड भी पाये.जाते है यही कारण.है कि इसे भारत.सरकार ने पूरी तरह बैन कर दिया है।

केरल मे सबसे पहले बैन
केरल सरकार ने सबसे पहले 1998 मे.इसे तब प्रतिबंधित किया जब वैज्ञानिकों ने एक खोज मे पाया कि इस मछली मे कैंसर को जन्म देने वाले तत्व पाये जाते.है।उसके दो.साल बाद भारत सरकार ने 2000 मे इसे प्रतिबंधित किया परंतु प्रतिबंध के बाद भी धडल्ले से यह मछली बाजारों मे बिकती है और कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी को जन-जन तक पहुंचा रही हैं। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के सख्त निर्देश के बाद भी यह पाली जा रही है और.लोग इसका सेवन.कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस मछली मे आयरन और लेड अर्थात शीशा पाया जाता है जो कैंसर सहित अनेक बीमारियों को जन्म देता है।

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का आदेश
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने आदेश मे लिखा है कि मतस्य विभाग टीम बनाकर.छापा मारे और थाई मांगुर मछली नष्ट कर दे और इसका सारा खर्च मछली ठेकेदार वहन करेगा। अब सवाल उठता है कि आखिर इसका उत्पादन क्यों बंद नहीं किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसके लिए नियम सख्त नही बनाए गए हैं। अगर कोई शिकायत करता है तो शिकायत की जानकारी मछली पालन करने वाले तक मतस्य विभाग द्वारा पहूंचा दी जाती है फिर मछली पालन करने वाला उन मछलियों को अन्यत्र हटा दिया जाता हैं और छापे मे कुछ नहीं मिलने की स्थिति में मतस्य विभाग मछली पालन करने वाले पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाता है जबकि होना यह चाहिए कि इसकी शिकायत पर तुरंत छापा मारा जाना चाहिए और तुरंत नष्ट कर पंचनामा किया जाना चाहिए जिससे मछली पालन करने वालो को संभलने का मौका न मिले।

इस दानव.कही जाने वाली मछली का पालन जैजैपुर , अकलतरा , नवागढ लगभग सभी ब्लाक में किया जा रहा है। इस मछली के हानिकारक तत्वों से बचने लोगों को ही पहल करनी होगी और लोगो को थाई मांगुर छोडकर देशी मांगुर मछली खानी चाहिए। देशी मांगुर मछली मे विटामिन ई और प्रोटीन होता है इसलिए लोगों को इसी का सेवन करना चाहिए और थाई मांगुर मछली का पूरी तरह परित्याग करना चाहिए।

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