श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को 1947 के हीरो मकबूल शेरवानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। कश्मीरी युवक मकबूल शेरवानी ने महज 19 साल की उम्र में बारामूला जिले में पाकिस्तानी सैनिकों को चार दिनों तक उलझाए रखा था, ताकि भारतीय सेना मौके पर पहुंचकर उनका माकूल जवाब दे सके। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को 1947 में भारत के लिए अपनी जान गंवाने वाले कश्मीर के युवा मकबूल शेरवानी को श्रद्धांजलि अर्पित की। मकबूल शेरवानी की पुण्यतिथि पर मनोज सिन्हा ने कहा कि एक सच्चे देशभक्त जिन्होंने जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तानी सेना के आक्रमण से बचाने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी अदम्य भावना और मातृभूमि की एकता और अखंडता को बनाए रखने में योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
कौन थे मकबूल शेरवानी
महज 19 साल के कश्मीरी युवक मकबूल शेरवानी ने पाकिस्तानी बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाई थी। बारामूला में पाकिस्तानी सेना समर्थित कबाइलियों को 1947 में चार दिन तक उलझाए रखा था ताकि भारतीय सेना वहां पहुंच सके। ये बात है भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद की. जब जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह ने पाकिस्तानी आक्रमण से डरकर भारत की मदद मांगी थी। उस वक्त मकबूल शेरवानी और उनके साथियों ने पख्तून कबाइलियों के वेश में पाकिस्तानी सैनिकों का डटकर सामना किया था। इसी दौरान उन्होंने शहादत दी थी। शेरवानी को बारामूला के रक्षक के तौर पर भी जाना जाता है। पाकिस्तान ने न केवल 1999 के कारगिल युद्ध में झूठ बोला, बल्कि 1947 में भी झूठ बोला था जब उसने अपनी सेना के जवानों को पख्तूनी कपड़े पहना दिए थे। कहा जाता है कि प्रत्येक कबाइली दल की कमान पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने संभाली थी।