रायगढ़। असम राइफल्स के सीओ रहे मेजर विप्लव त्रिपाठी की उग्रवादियों के हमले में मारे जाने की घटना की जांच एनआईए करेगी। एनआईए ने गृहमंत्रालय से इस मामले में एफआईआर कर इन्वेस्टिगेशन करने की अनुमति मांगी है। एनआईए इस घटना की साजिश में शामिल लोगों और उग्रवादियों के सरकारी मुलाजिमों से कनेक्शन की जांच भी करेगी। शहीद मेजर विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी अनुजा, आठ साल के बेटे आशीष व पांच जवानों को उग्रवादियों ने मार दिया था। इस हमले में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट का हाथ बताया जा रहा है।
यह थी घटना
मणिपुर से सटे चूराचांदपुर जिला में सेना के जवानों पर एक उग्रवादी हमला हुआ था। 44 असम राइफल्स के कमांडिंग अफसर मेजर विप्लव त्रिपाठी, अपनी पत्नी, आठ साल के बेटे के साथ बटालियन हेडक्वार्टर लौट रहे थे। उनके काफिले में कई जवान भी थे। काफिला गुजरते वक्त पहले से घात लगाए उग्रवादियों ने आईईडी (IED) से ब्लास्ट किया। इस ब्लास्ट में मेजर व उनका परिवार व पांच जवान शहीद हो गए थे। इस उग्रवादी हमले को अंजाम देने की जिम्मेदारी उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA ) और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट (PMNPF ) ने ली थी।
शहीद मेजर विप्लव त्रिपाठी इसी साल मई महीने में मिजोरम के बाद मणिपुर में तैनात हुए थे। इससे पहले वो अपने बटालियन के साथ जब मिजोरम में तैनाती के दौरान बहुत ही सराहनीय कार्यों को अंजाम देने के साथ साथ उन्होंने उन युवाओं को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जो किसी कारण या गलत संगति की वजह से उग्रवादियों के संगठन से जुड़ गए। मिजोरम के गवर्नर के हाथों उन्हें सम्मानित भी किया गया था। इस कार्य से भी कुछ उग्रवादियों के अंदर मेजर विप्लव उग्रवादियों की आंखों की किरकिरी बन गए थे।