भोपाल
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने स्पष्ट किया है कि विगत दिनों अनूपपुर में एक महिला सम्मान समारोह में मेरे संबोधन के कुछ अंश में राजपूत या अन्य किसी समाज को ठेस पहुँचाने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। सिंह ने कहा कि उनके कुछ वाक्यों के अर्थ का अनर्थ निकाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाचार माध्यमों के पास मेरे संबोधन की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी जिसे वे ध्यान से सुनेंगे तो वे मुझसे सहमत होंगे।
मंत्री सिंह ने कहा कि सामान्यत: मैं अपने समाज और क्षेत्र के लोगों से क्षेत्रीय और हिन्दी की मिली-जुली भाषा में बात करता हूँ। ऐसी ही भाषा, इस संबोधन में भी मेरे द्वारा प्रयोग की गई। शुद्ध हिन्दी न होकर मिली-जुली भाषा के कारण ही संभवत: ऐसी अप्रिय स्थिति बनी। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि मैं जनजातीय वर्ग का प्रतिनिधित्व करता हूँ और गुरूवार को मैं महिलाओं के सम्मेलन में अपने समाज की महिलाओं से उनके उत्थान की बात कर रहा था।
मेरे संबोधन में मैंने अपनी सजातीय महिलाओं से कहा कि आगे बढ़ने के दो ही रास्ते हैं, एक तो शिक्षा से और दूसरा अपने से बड़ों का अनुसरण करके। मेरे कहने का आशय यह था कि जनजातीय समाज एक पिछड़ा समाज है। कुछ नया सीखने के लिए, आगे बढ़ने के लिए समाज की महिलाएँ, उच्च वर्ग की महिलाओं को देखकर सीखें और आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि यह तथ्य भी सही है कि उच्च वर्ग की हुनरमंद और शिक्षित महिलाएँ यदि काम के लिए आगे नहीं आएंगी तो मेरे समाज की पिछड़ी महिलाएँ किसका अनुसरण करके आगे बढ़ सकेंगी। अपने संबोधन में मैंने सिर्फ यही कहा था और इसके अलावा मेरा कोई अन्य आशय नहीं था।
मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने स्पष्ट किया है कि किसी समाज को ठेस पहुँचाने की मेरी न कभी कोई मंशा रही है और न ही गुरूवार को थी। इसके बावजूद मेरी बात से राजपूत अथवा अन्य किसी समाज को कोई ठेस पहुँची हो तो उसका मुझे खेद है।