रायपुर। नेशनल स्टूडेंट यूनियन आफ इंडिया (एनएसयूआइ) ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा बचाओ-देश बचाओ अभियान की शुरूआत की। इस दौरान एनएसयूआइ के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष नीरज पांडे ने कहा कि नई शिक्षा नीति केंद्रीकरण और शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है, साथ ही यह शिक्षा विरोधी नीति तब लाई गई, जब पूरे देश में कोविड महामारी का असर अधिक था। उद्देश्य साफ है कि मोदी सरकार शिक्षा को भी सिर्फ अमीरों के लिए एक सुविधा जैसा बनाना चाहती है। गरीब बच्चों के भविष्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है।
पांडे ने कहा कि सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश के युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे। अब तो नई शिक्षा नीति भी निजीकरण को बढ़ावा दे रही है तो गरीब जाए तो जाए कहां? साथ ही एसएससी, नीट, जेईई जैसे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना व युवाओं को वर्षों तक नौकरी नहीं देना यह साफ बताता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है। अगर छात्र वर्ग के लिए कोई नीति बना रहें हैं तो हमारा कर्तव्य बनता हैं कि हम उनसे चर्चा करेंं, लेकिन वर्तमान सरकार की आदत बन चुकी हैं कि सभी कार्य तानाशाही तरीके से लागू करते हैं। जब से भाजपा सरकार केंद्र में आई हैं तब से छात्रों की फैलोशिप एवं स्कालरशिप रोकी जा रही हैं, प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहें हैं तथा परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे हैं जिसके कारण छात्रों के 2 से 3 साल बर्बाद होते जा रहा है। एनएसयूआइ केंद्र सरकार से मांग करती हैं कि केंद्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम 2 साल की छूट दें क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के 2 साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं।