Sunday, March 26

देश में दो बच्चे ही पैदा करने का नियम तय करने SC में याचिका

देश में दो बच्चे ही पैदा करने का नियम तय करने SC में याचिका


नई दिल्ली
जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पार्टी बनाने की मांग की गई है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में देश में दो बच्चे ही पैदा किए जाने का नियम तय करने की मांग की है। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में कहा कि जनसंख्या का विस्फोट ही देश में पैदा हो रही समस्याओं की मुख्य वजह है। इसके चलते प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है। उन्होंने ऐसी ही एक अर्जी इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल की थी, जिसने उस पर सुनवाई से खारिज कर दिया था।

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि भारत में फैमिली प्लानिंग परिवारों पर थोपना ठीक नहीं होगा और इसके विपरीत परिणाम देखने को मिल सकते हैं। सरकार का कहना था कि इससे डेमोग्रेफी में परिवर्तन हो सकता है, जो चिंता की बात होगी। एक हलफनामा दाखिल कर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि देश में फैमिली वेलफेयर प्रोग्राम जागरूकता के स्तर पर है ताकि दंपति परिवार नियोजन को लेकर अपना फैसला सही रखें। हम चाहते हैं कि लोग अपनी समझ से ही फैमिली प्लानिंग करें और उसके लिए किसी भी तरह की दबाव की स्थिति न रहे।
'बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को जोड़ें तो हमारी आबादी चीन से ज्यादा'

अब जनसंख्या वृद्धि की दर पर लगाम कसने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करते हुए अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि हाई कोर्ट स्वच्छ हवा के अधिकार, पेयजल, स्वास्थ्य, शांतिपूर्ण नींद, शेल्टर, आजीविका और सुरक्षा की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21 को मजबूत करने में सफल नहीं रहा है। अर्जी में कहा गया कि जनसंख्या विस्फोट के चलते इन अधिकारों पर कोई काम नहीं हो पा रहा है। हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया था कि देश आबादी के मामले में चीन से भी आगे निकल गया है। इसके पीछे तर्क देते हुए कहा गया था कि 20 फीसदी आबादी के पास तो आधार कार्ड ही नहीं है। इसके अलावा देश में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को जोड़ लिया जाए तो फिर यह संख्या चीन से ज्यादा ही है

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