भोपाल
इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने में भले ही समय लग रहा हो लेकिन पुलिस को मिलने वाले अधिकारों को लेकर धीरे-धीरे तस्वीर साफ होती जा रही है। इस सिस्टम में यदि पुलिस अभिरक्षा में किसी आरोपी या अन्य व्यक्ति की मौत हुई तो उसकी जांच पूर्व की ही तरह कलेक्टर को ही करनी होगी।
सूत्रों की मानी जाए तो सीआरपीसी के तहत कलेक्टर को पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत की जांच के अधिकार हैं। विशेष परिस्थिति में यह जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट से भी करवाई जाती है। इस व्यवस्था में फिलहाल बदलाव नहीं होगा। पुलिस कमिश्नर सिस्टम में यदि किसी आरोपी या किसी अन्य की मौत पुलिस अभिरक्षा में होती है तो उसकी जांच का जिम्मा कलेक्टर के पास रहेगा। इस दौरान कलेक्टर अपनी जांच में पुलिस अफसरों को तलब कर बयान ले सकेंगे , मौका मुआयना आदि भी कर सकेंगे।
इधर धरना और प्रदर्शन की अनुमति दिए जाने के अधिकार के साथ ही अस्थाई जेल बनाने के अधिकार पुलिस के पास आ जाएंगे। अभी जिला प्रशासन के अधिकारी प्रदर्शन करने वालों की गिरफ्तारी के बाद अस्थाई जेल घोषित कर वहां पर भेज देते हैं। अब यह अधिकार जिला प्रशासन के अफसरों के पास नहीं रहेगा। यह अधिकार अब पुलिस अफसरों के पास आ जाएगा। वे तय कर सकेंगे कि कहां पर अस्थाई जेल घोषित करना है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि पुलिस आयुक्त प्रणाली को लेकर लगातार चिंतन चल रहा है। जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि पहले यह माना जा रहा था कि 1 दिसंबर से यह सिस्टम दोनों शहरों में लागू हो जाएगा, लेकिन अब तक यह लागू नहीं हो सका।