इंदौर
इंदौर से 40 किमी दूर बाघ की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। इंदौर रेंज के घने जंगल नाहरझाबुआ में उसके पंजों के निशान, विष्ठा सहित अन्य प्रमाण सामने आए हैं। वन अफसरों के मुताबिक करीब दस साल बाद इलाके में बाघ की मौजूदगी मिली है। इसके अलावा उमठ-बेका (चोरल) और मलेंडी-मांगलिया (महू) में भी बाघ होने के प्रमाण मिले हैं। ये प्रमाण विभाग ने इंस्टीट्यूट ऑफ वाइल्डलाइफ देहरादून को भेजे हैं। वन अफसरों के मुताबिक 10-12 इंच से बड़े पंजों के निशान सात से आठ स्थानों पर देखे गए हैं। महू के मलेंडी वनक्षेत्र में उसने एक बछड़े का शिकार किया है।
चोरल का जंगल : टीम ने सुनी दहाड़
गणना के दौरान डीएफओ नरेंद्र पंडवा भी टीम के साथ चोरल के जंगल में निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने बताया कि एक दिसंबर को हिरण-चीतल के पंजों के निशान नजर आए। जंगल में दो किमी अंदर जाने के बाद टीम को बाघ की दहाड़ सुनाई दी। व्यस्क बाघ के अलावा कुछ शावकों के पंजों के निशान मिले हैं। पेड़ों में खरोचें भी दिखाई दी हैं। सूत्रों के मुताबिक उमठ और बेका में पंजों के निशान मिले हैं। यह जंगल महू के कुशलगढ़ वनक्षेत्र से जुड़ा है।
मलेंडी-मांगलिया वनक्षेत्र में कैमरे से होगी निगरानी
मलेंडी-मांगलिया वनक्षेत्र में दो से तीन स्थानों पर पगमार्क नजर आए हैं और विष्ठा (मल) भी जगह-जगह मिली है। यहां विभाग ने नाइट विजन सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं। ग्रामीणों को भी इलाके में बाहरी व्यक्तियों की गतिविधियों पर नजर रखने को कहा है।