इंदौर
फेबिपिरावीर और पोसाकोनाजोल जैसी दवाओं का उत्पादन शहर की दवा कंपनियों ने बंद कर दिया है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच इसी साल मार्च-अप्रैल में पीड़ित और उनके स्वजनों ने इन जैसी तमाम जरुरी दवाओं की किल्लत भी भोगी थी।उसी दौरान शहर में इन तमाम दवाओं का उत्पादन शुरू किया गया था।अब कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोम ने दस्तक दे दी है। दवा कंपनियों को इंतजार है कि सरकार नए वैरिएंट के लिए लाइन आफ ट्रीटमेंट जारी करे तो उद्योग उन दवाओं के उत्पादन पर ध्यान दे। ताकि बीते वर्ष जैसी किल्लत इस साल न बन सके।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान काम में आई कुछ खास दवाओं के साथ अन्य एंटी वायरल दवाओं का उत्पादन भी सीमित मात्रा में हो रहा है।इंदौर की दवा कंपनी मैकडब्ल्यू हेल्थकेयर के प्रमुख अभीजित मोतिवाले के मुताबिक ऐसी कई दवाएं है जिनकी मांग व उत्पादन आम तौर पर बहुत सीमित होता है। बीते साल फेबिपिरावीर के साथ ऐसा ही हुआ। बाद में फंगस इंफेक्शन के चलते पोसकोनाजोल की मांग भी इसी तरह बढ़ी। क्योंकि ये दवाएं कोरोना के उपचार से सीधे जुड़ गई। फेबिपिरावीर तब तो हिमाचल प्रदेश से यहां आ रही थी। जरुरत बढ़ी और किल्लत हुई तो ऐन वक्त पर जैसे-तैसे शहर में ऐसी दवाओं का उत्पादन शुरू किया गया था।कोरोना के नए वैरिएंट की बातें हो रही है लेकिन दवा कंपनियां अभी ऐसी किसी भी विशेष दवा का उत्पादन नहीं कर रही है।कारण है कि अब तक सरकार या स्वास्थ्य संस्थाओं की ओर से कोरोना के नए वैरिएंट के लिए इलाज के लिए काम में आने वाली दवाओं का ब्यौरा ही नहीं जारी किया गया है। यानी लाइन आफ ट्रीटमेंट क्या होगा यह साफ नहीं है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग समय पर लाइन आफ ट्रीटमेंट जारी कर दे हम उत्पादन भी शुरू कर देंगे।