भोपाल
प्रदेश में पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद अब मंत्री और निगम मंडल के पदाधिकारी अगर गांवों के दौरे पर जाते हैं, तो उनका दौरा चुनावी दौरा माना जाएगा। इस दौरान सुरक्षा कर्मी को छोड़कर कोई भी शासकीय कर्मचारी अधिकारी मंत्री के साथ नहीं जा सकेंगे। अगर कोई इसके बाद भी जाता है तो यह आचार संहिता उल्लंघन की श्रेणी में आएगा। इन दौरों के लिए मंत्री को सरकारी वाहन और अन्य शासकीय सेवाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जा सकेंगी।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए लागू की गई आचार संहिता में इसका प्रावधान किया गया है। आयोग ने कहा है कि भले ही चुनाव गैरदलीय आधार पर हो रहे हैं लेकिन इसकी आचार संहिता अन्य चुनावों की तरह लागू होगी। आयोग ने तय किया है कि चूंकि पंचायत चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है और चुनाव के अंतिम परिणाम घोषित होने के चलते 23 फरवरी तक यह प्रभावी रहेगी। इसलिए मंत्रियों, निगम मंडल और प्राधिकरण के अध्यक्षों को इसका ध्यान रखना होगा कि वे आचार संहिता की शिकायतों और उल्लंघन से बचें।
आयोग ने कहा कि चुनव होने तक पंचायत क्षेत्र में किसी नए भवन की अनुज्ञा और उसके संवर्द्धन की परमिशन नहीं दी जा सकेगी। केवल पूर्व में दी गई अनुमतियों का नवीनीकरण किया जा सकेगा। आयोग ने कहा है कि किसी भी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर में चुनाव संबंधी बैठकें नहीं हो सकेंगी और चुनावी पर्चे नहीं चिपकाए जा सकेंगे। इतना ही नहीं किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध व्यक्ति द्वारा किसी अभ्यर्थी के व्यक्तिगत जीवन के ऐसे पहलुओं की आलोचना नहीं की जा सकेगी जिसका संबंध उसके सार्वजनिक जीवन से न हो। इतना ही नहीं कोई भी ऐसे आरोप नहीं लगाए जा सकेंगे जिसकी सत्यता प्रमाणित नहीं हो। मतदान के 48 घंटे पहले शराब की दुकानें बंद किए जाने और शराब के वितरण पर रोक के निर्देश भी आयोग ने जारी किए हैं।