नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. इस दौरान पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से कहा कि कोविड महामारी की चुनौतियों के बावजूद दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी लगातार मजबूत होती जा रही है. दोनों देशों ने महामारी के दौरान वैक्सीन के परीक्षण और उत्पादन से लेकर, नागरिकों के संबंधित देशों में लौटने को लेकर मजबूती से सहयोग किया. पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 21वें वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन से पहले भारत की आधिकारिक यात्रा पर सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे हैं.
द्विपक्षीय वार्ता में पीएम ने आगे कहा, पिछले कुछ दशकों में कई बुनियादी बातों में बदलाव आया है. नए समीकरण सामने आए हैं. इस तरह के तमाम बदलावों के बीच भारत-रूस की दोस्ती कायम रही है. दोनों देशों ने एक-दूसरे की मदद की है और एक-दूसरे की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखा है.
50 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य
अपने बयान में PM बोले, हम आर्थिक मामलों में अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं. हमने 2025 तक 30 अरब डॉलर के व्यापार और 50 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है. मेक इन इंडिया के तहत, सह-विकास और सह-उत्पादन रक्षा क्षेत्र में हमारी साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं. हम अंतरिक्ष और असैन्य परमाणु क्षेत्रों में भी सहयोग की ओर बढ़ रहे हैं.
अफगानिस्तान मुद्दे पर संपर्क में
पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से कहा, हमारे रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच पहली 2+2 वार्ता हो चुकी है. यह हमारे व्यवहार सहयोग को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छी कोशिश है. हम अफगानिस्तान और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर लगातार संपर्क में हैं.
समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला राष्ट्र है भारत
इस वार्ता के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, हम भारत को एक महान शक्ति, एक मित्र राष्ट्र और समय की कसौटी पर खरे उतरने वाले मित्र के रूप में देखते हैं. हमारे देशों के बीच संबंधों की मजबूती में इजाफा हो रहा है. हम सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में बड़ी साझेदारी करते हैं. साथ ही भारत में उत्पादन के साथ-साथ उच्च तकनीकों के विकास पर साथ हैं.
2+2 वार्ता में 4 समझौतों पर हस्ताक्षर
अफगानिस्तान पर दोनों देशों के संबंधों में ठंडक और बॉर्डर पर चीन-भारत के तनाव के बीच पुतिन की इस यात्रा का खासा महत्व माना जा रहा है. इससे पहले, दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच 2+2 वार्ता हुई जिसमें रक्षा सहयोग के लिए चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.
भारत तय करेगा कि किसके हथियार खरीदने हैं: रूसी विदेश मंत्री
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बताया, हमारे भारतीय मित्रों ने स्पष्टता से समझाया कि वे एक संप्रभु देश हैं और वे ही तय करेंगे कि किसके हथियार खरीदने हैं. कौन रक्षा और अन्य क्षेत्रों में भारत का भागीदार बनने जा रहा है. S-400 डील का केवल प्रतीकात्मक अर्थ नहीं है. भारतीय रक्षा क्षमता के लिए इसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यावहारिक अर्थ है. माना जा रहा है कि पुतिन एयर डिफेंस मिसाइल एस 400 का एक मॉडल भारतीय प्रधानमंत्री को सौपेंगे.
रिश्ते होंगे मजबूत
दरअसल, भारत और रूस एक-दूसरे के सहयोगी रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्तों में ठंठापन आ गया था. इसके अलावा, अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियों को लेकर भी रूस अनमनी-सी स्थिति में है. साथ ही भारत-चीन सीमा पर तनाव से भी रूस असहज हो रहा है, क्योंकि चीन के संग रूस के कई क्षेत्रों में अच्छे संबंध हैं. संभावना जताई जा रही है कि संबंधों की इस खाई को पाटने के लिए पुतिन की भारत यात्रा काफी कारगर सिद्ध हो सकती है.
समझौतों, अनुबंधों और प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर
इस बारे में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत के लिए रूस के मजबूत समर्थन की सराहना करता हूं. हमें उम्मीद है कि हमारे सहयोग से पूरे क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता आएगी. इस दौरान छोटे हथियारों और सैन्य सहयोग से संबंधित कई समझौतों, अनुबंधों और प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए.
बता दें कि भारत और रूस के बीच हुई कलाश्निकोव सीरीज स्मॉल आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग डील के तहत भारत में 6 लाख से ज्यादा AK-203 राइफल्स का निर्माण किया जाएगा. इसके अलावा रूस से 70,000 राइफलें खरीदी जाएंगी, जिसके लिए अगस्त में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. इसके साथ ही साल 2021-2031 से दोनों देशों के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग कार्यक्रम पर समझौता हुआ है.