रांची
झारखंड के विधायक, सांसद और दूसरे जनप्रतिनिधि अपने निजी वाहनों में नेम प्लेट और बोर्ड नहीं लगा सकेंगे। सरकार जनप्रतिनिधियों को दी गयी यह छूट वापस लेगी। इसके लिए जल्द आदेश जारी किया जाएगा। शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य के परिवहन सचिव केके सोन ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी। सरकार की ओर से बताया गया कि जनप्रतिनिधियों के वाहन में नेम प्लेट और बोर्ड लगाने का नियम नहीं है, लेकिन सरकार के उच्च अधिकारियों की सहमति के बाद झारखंड में यह छूट दी गयी थी, इसे अब वापस ले लिया जाएगा। सरकार ने इस मामले में दायर अपना शपथपत्र भी वापस ले लिया। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने सरकार से कहा कि वाहनों के नेम प्लेट के नियम के विपरीत शपथ पत्र दायर किया गया है। नियम में स्पष्ट है कि जन प्रतिनिधि अपने निजी वाहन में बोर्ड और नेम प्लेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते। जब नियम नहीं है तो कैसे इन्हें छूट दी गयी। अदालत ने महाधिवक्ता से कहा कि वह दूसरे राज्यों की नियमावली मंगाकर अगली तिथि को कोर्ट में पेश करें, ताकि पता चल सके वहां क्या क्या प्रावधान है और झारखंड में क्या क्या लागू किया गया है। अदालत ने सरकार से पूछा कि वाहनों में गलत तरीके से नेम प्लेट और बोर्ड लगाने वाले कितने लोगों पर अब तक कार्रवाई की गयी है। चार सप्ताह में सरकार को इसका जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
क्या है मामला
इस संबंध में गजाला तनवीर ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। उनकी तरफ से अधिवक्ता फैसल अल्लाम ने अदालत में पक्ष रखा। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी भी वाहन में किसी भी पदनाम और नाम का प्लेट और बोर्ड नहीं लगाया जा सकता, लेकिन झारखंड में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। सरकारी अधिकारी से लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और अन्य लोग भी बोर्ड लगा कर चल रहे हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था।