शिमला
जेसीसी यानी संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक शनिवार सुबह 11 बजे शुरू हुई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बैठक की शुरुआत में कर्मचारियों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों की सभी जायज मांगों पर विचार कर उन्हें पूरा किया जाएगा। पहली जनवरी 2016 से छठे वेतनमान के लाभ दिए जाएंगे। कर्मचारियों को जनवरी 2022 का फरवरी में संशोधित वेतनमान मिलेगा। हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को साढ़े सात हजार करोड़ रुपये के लाभ दिए जाएंगे। आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए भी कमेटी बनाई गई है। अनुबंध काल तीन से दो वर्ष करने की घोषणा की है। एनपीएस कर्मचारियों को 15 मई 2003 से इनवेलिड व फेमिली पेंशन देने की घाेषणा की है। इसके लिए 250 करोड़ का बजट खर्च होगा। बैठक से पूर्व ही पंजाब की तर्ज पर छठे वेतनमान की घोषणा तय मानी जा रही थी। बैठक में दो सौ से अधिक कर्मचारी नेता जुटे। इसके अलावा करीब 50 अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शुरू हुई। जेसीसी की बैठक में हिमाचल प्रदेश के करीब पौने तीन लाख कर्मचारियों को कई तोहफे मिलने की उम्मीद थी। मौजूदा भाजपा सरकार के कार्यकाल में जेसीसी की यह पहली बैठक हुई। इसके माध्यम से सरकार कर्मचारी वर्ग को साधने का कार्य किया है। पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर चुकी है। हिमाचल वेतनमान के मामले में पंजाब से जुड़ा है। प्रदेश का अपना अलग वेतन आयोग नहीं है। केंद्र अपने कर्मचारियों को पहली जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान दे चुका है। पंजाब सरकार ने नया वेतनमान देने में देरी की है, इस कारण प्रदेश के कर्मचारियों को भी लंबा इंतजार करना पड़ा। बैठक में अनुबंध कार्यकाल तीन से दो वर्ष होने की भी घोषणा तय मानी जा रही थी।
ये रहीं प्रमुख मांगें
नए वित्त आयोग की सिफारिशें जल्द से जल्द लागू की जाएं, मांग पत्र में पंजाब के छठे वेतन वेतन आयोग की जगह केंद्र की तर्ज पर सातवां वेतनमान और भत्ते लागू करने की मांग उठाई है।
ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाए।
नियमितीकरण के लिए अनुबंध कार्यकाल तीन वर्ष से दो वर्ष किया जाए।
4-9-14 यानी टाइम स्केल बहाल किया जाए।
अनुबंध से नियमित होने के बाद दो साल तक हायर ग्रेड, पे बैंड न मिलने की शर्त हटाई जाए।
अधीक्षक ग्रेड वन का पदनाम अनुभाग अधिकारी रखा जाए।
करुणामूलक आधार पर नौकरियां देने के लिए आय सीमा बढ़ाई जाए।
चालकों, क्लीनरों को 20 साल की बजाय 15 साल में विशेष इंक्रीमेंट दी जाए।
सोसायटी में कार्यरत कर्मियों के लिए नियमितीकरण की नीति बनाई जाए।