रायपुर
रीढ़ की टूटी हुई हड्डी को सीमेंट से जोड़कर 70 वर्षीया महिला को असहनीय दर्द से राहत दी गई। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में हुआ यह इलाज राज्य में वर्टेब्रोप्लास्टी सर्जरी का पहला और सफल केस है।
मरीज की बहू सविता पाल ने बताया कि तीन महीने पहले फर्श पर गिर जाने के कारण उनकी सास की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। इससे वह तीन महीने से बिस्तर पर ही थीं। कई प्राइवेट अस्पतालों में इलाज से राहत नहीं मिली। अंत में आंबेडकर अस्पताल लेकर आए।
यहां डाक्टरों ने सीटी स्कैन और एमआरआइ जांच से रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर होने की जानकारी दी। इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डा. विवेक पात्रे ने बताया कि उम्र की अधिकता और बीमारी की गंभीरता को देखते हुए वर्टेब्रोप्लास्टीकरने का निर्णय लिया गया।
वर्टेब्रोप्लास्टी सर्जरी में सबसे पहले इमेज गाइडेड (छवि मार्गदर्शन) फ्लोरोस्कोपी की सहायता से खोखली सुई को त्वचा के माध्यम से फ्रैक्चर हुए वर्टिब्रा में इंजेक्ट किया गया। इसके बाद हड्डी में सीमेंट के मिश्रण को इंजेक्शन के जरिए इंजेक्ट किया गया। फ्रैक्चर हुए वर्टिब्रल (कशेरुक) के भीतर पहुंचते ही सीमेंट सख्त हो जाता है।
पांच मिनट के अंदर ही सुई को हटा दिया जाता है। मरीज के लिए यह एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया रही जिसमें केवल सुई वाले स्थान को सुन्ना करके (लोकल एनेस्थीसिया देकर) पूरा प्रोसीजर किया गया। इस सर्जरी में डा. नीलेश गुप्ता, डॉ. अशोक सिदार, डा. आकांक्षा, डा. सूरज, डा. सोनल, डा. प्रियंका व नर्सिंग स्टाफ शामिल रहे।
क्या है वर्टेब्रोप्लास्टीसर्जरी
चिकित्सकों ने बताया कि वर्टेब्रोप्लास्टी सर्जरी एक तरह से डे केयर प्रोसीजर है, जिसके लिए मरीज को अस्पताल में लंबे समय के लिए भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती। इसमें न्यूनतम (मिनिमल) इनवेसिव प्रक्रिया के जरिए स्पाइनल फ्रैक्चर को ठीक किया जाता है। आस्टियोपोरेसिस के कारण हड्डियों के घनत्व, द्रव्यमान एवं क्षमता में आई कमी या फिर टूटी हुई रीढ़ की हड्डियों को सहारा देने के लिए प्रक्रिया में अस्थि (बोन) सीमेंट का उपयोग किया जा सकता है।