भोपाल
टूटे-फूटे झोंपड़ीनुमा घर, धुँए से काली पड़ चुकी मिट्टी से बनी दीवारें और शाम होते ही घुप्प अंधेरा। चूल्हे से उठ रहे धुँए के गुबार की वजह से आँखों से झर रहे आँसू और खाँसते-खाँसते खाना पकाती घर की महिलाएँ। कुछ ऐसा ही हाल था बंटी सहरिया के घर सहित अमरगढ़ गाँव के अन्य घरों का। मगर अब स्थितियाँ बदल चुकी हैं। स्थितियां बदली तो घर की महिलाओं की सेहत भी सुधर गई और परिवार का जीवन-स्तर भी। मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल ग्वालियर जिले के प्रवास के दौरान अमरगढ़ गाँव के आदिवासी परिवारों से मिलने आए थे तब उन्होंने बंटी आदिवासी के घर भोजन ग्रहण किया था।
ग्वालियर जिले के पर्वतीय एवं वनांचल क्षेत्र में बसे विकासखण्ड घाटीगांव के ग्राम अमरगढ़ में बंटी आदिवासी रहते हैं। वे प्रदेश की सबसे पिछड़ी जन-जातियों में शुमार “सहरिया” से ताल्लुक रखते हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना से सरकार ने उनके लिए पक्का घर बनवा दिया है। सरकार की सौभाग्य योजना में उनके सहित गाँव के अन्य जनजातीय परिवारों के घर में बिजली कनेक्शन भी हो गए हैं। अब शाम होते ही पूरा गाँव रोशनी से जगमगा उठता है। बंटी की धर्मपत्नी सहित गाँव की अन्य महिलाओं को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में नि:शुल्क रसोई गैस कनेक्शन मिले हैं। प्रदेश सरकार की समृद्ध पर्यावास योजना के तहत गाँव के जनजातीय परिवारों को विभिन्न प्रकार की सुविधायें मिली हैं। अमरगढ़ गाँव के 25 सहरिया जनजातीय परिवारों के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घर बने हैं। साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं में 15 प्रकार की अन्य सुविधाएँ भी उन्हें नि:शुल्क मुहैया हुई हैं।