Sunday, May 28

तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने के बाद आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता: केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर

तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने के बाद आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता: केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर


 

नई दिल्ली
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान आंदोलन के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा-किसान संगठनों ने पराली जलाने पर किसानों को दंडनीय अपराध से मुक्त किए जाने की मांग की थी। भारत सरकार ने यह मांग को भी मान लिया है। तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा के बाद मैं समझता हूं कि अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता है, इसलिए मैं किसानों और किसान संगठनों से निवेदन करता हूं कि वे अपना आंदोलन समाप्त कर, अपने-अपने घर लौटें। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती पर 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून रद्द करने का ऐलान किया था। इस बीच किसानों ने 29 नवंबर को संसद तक प्रस्तावित अपना ट्रैक्टर मार्च स्थगित कर दिया है।

प्रधानमंत्री ने जीरो बजट खेती, फसल विविधीकरण, MSP को  प्रभावी, पारदर्शी बनाने जैसे विषयों पर विचार करने के लिए समिति बनाने की घोषणा की है। इस समिति में आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधि भी रहेंगे। संसद सत्र के शुरू होने के दिन तीनों कृषि क़ानूनों को संसद में रद्द करने के लिए रखे जाएंगे। जहां तक विरोध के दौरान दर्ज मामलों का संबंध है, यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है और वे निर्णय लेंगे। राज्य सरकारें अपनी राज्य नीति के अनुसार मुआवजे के मुद्दे पर भी निर्णय लेंगी।

किसान संगठनों की हुई बैठक
इधर, आज की किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक हुई। बैठक के बारे में बताते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा-बैठक में 2-3 बातों पर चर्चा हुई है। जैसे MSP की गारंटी, किसानों पर मुकदमे जो दर्ज़ हुए हैं उनको वापस लेने पर, जिन किसानों की मृत्यु हुई उनको मुआवज़ा देने पर और बिजली बिल के वापस लेने पर बातें हुईं हैं। अगर मनोहर लाल खट्टर(क्लिक करके पढ़ें बयान) ऐसा कह रहे हैं कि MSP देना संभव नहीं है, तो हो सकता है कि वह हमें यहां से जाने नहीं देना चाहते हों। हो सकता है कि उनको इस आंदोलन को आगे भी चले रहने देने का मन हो… पराली जलाने को लेकर हमारे पास अभी कुछ लिखित में नहीं आया है। लेकिन बाद में खबर आई कि किसानों ने संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से 2 दिन पहले संसद तक ट्रैक्टर मार्च को कैंसल कर दिया है। अब अगली बैठक 4 दिसंबर को होगी। आज सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बैठक में आंदोलन की अगली रणनीति पर चर्चा हुई। इसमें यह फैसला लिया गया।

अब किसानों ने रखीं ये 6 मांगें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए आंदोलन कर रहे किसानों से घर लौट जाने की अपील की है। दूसरी ओर किसानों का कहना है कि जब तक सरकार संसद में कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती आंदोलन जारी रहेगा। वे घर नहीं जाएंगे। इसके साथ ही किसानों ने पीएम के सामने अपनी छह मांगें भी रखी हैं। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर को संसद मार्च निकालने की घोषणा की थी। लेकिन इसे कैंसल कर दिया गया। 29 नवंबर से ही संसद का शीतकालीन शत्र शुरू होने जा रहा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, समेत कई राज्यों से किसान हजारों की संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे।

ये हैं किसानों की मांगें
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज पर, सभी किसानों का कानूनी हक बनाया जाए। देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी मिले।
2. सरकार द्वारा प्रस्तावित "विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021" का ड्राफ्ट वापस लिया जाए।
3. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने का प्रावधान हटाया जाए।
4. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए।
5. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी खुले घूम रहे हैं। वह मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
6. किसान आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधू बॉर्डर पर जमीन दी जाए।

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