Sunday, April 2

बिलासपुर के विजय ने CGPSC में हासिल की 21वीं रैंक, पिता चलाते हैं ऑटो

बिलासपुर के विजय ने CGPSC में हासिल की 21वीं रैंक, पिता चलाते हैं ऑटो


बिलासपुर
सफलता साधन से नहीं, बल्कि साधना से मिलती है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की परीक्षा में बिलासपुर के विजय कैवर्त को भी इसी तरह सफलता मिली। ऑटो ड्राइवर कुलदीप कैवर्त के बेटे विजय ने 21वीं रैंक हासिल की है। विजय ने पढ़ाई पूरी करने के लिए लोगों के कपड़े तक सिले। घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अपने टेलरिंग के काम और पढ़ाई दोनों को जारी रखा। हार नहीं मानी और अब सहायक कर आयुक्त के पद के लिए चयनित हुए हैं।

तखतपुर में रहने वाले विजय शुक्रवार को परीक्षा परिणाम आया तब भी हमेशा की तरह कपड़े सिल रहे थे। इस बीच उन्हें पता चला कि वे CGPSC की परीक्षा में चयनित हो गए हैं। विजय बताते हैं कि वह टेलरिंग का काम करने के साथ-साथ हर दिन 5 घंटे पढ़ाई भी करते थे। तीन बार प्री निकाला, लेकिन हर बार मेंस में रह जाते। चौथी बार में सफलता उनके हाथ लगी। कहते हैं परिश्रम का कोई शॉर्टकट नहीं होता। विजय की 8वीं तक की पढ़ाई गायत्री ज्ञान मंदिर से हुई है। फिर 12वीं उन्होंने बालक हाई स्कूल से पास किया। विजय बताते हैं कि जब वे 5वीं क्लास में थे, तभी से सिलाई सीखना शुरू कर दिया था। इसके बाद दुकान में काम करने लगे।

उससे मिले पैसों से पढ़ाई जारी रखी। इस बीच स्कॉलरशिप मिली। सीवी रमन यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिग्री हासिल की। इसके बाद भी अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी, लेकिन पढ़ाई करने से मन दूर नहीं हुआ। कुलदीप ने अपने बेटे विजय को हमेशा अच्छे संस्कार दिए। कहा कि समाज में रहकर काबिल इंसान बनो, जिससे तुम्हारी पहचान बने। पिता की इसी सीख को ठान कर विजय ने कभी परिश्रम करना नहीं छोड़ा।

पिता की मेहनत को देख खुद टेलरिंग का काम सीखा और उसके साथ पढ़ाई को भी जारी रखा। इंजीनियरिंग के बाद जब अच्छी नौकरी नहीं लगी तो फिर टेलरिंग करते वहां तक पहुंच गए। विजय ने बताया कि 12वी में ब्लॉक टॉपर बनने के बाद पड़ोस में रहने वाले तहसीलदार राकेश चाचा ने उन्हें नया रास्ता दिखाया। उन्होंने ही हौसला बढ़ाते हुए पीएससी की तैयारी करने कहा था। तब से विजय के मन मे भी आगे बढ़ने की ठान ली।

विजय ने बताया कि पिता बचपन से ही ऑटो चलाते हैं। घर की आर्थिक तंगी ऐसी कि उसे पढ़ाई के साथ मनिहारी दुकान में काम करना पड़ता था। इस दौरान उनकी दीदी स्वाति व जीजा बलराम कैवर्त्य हमेशा पढ़ाई में उसका साथ देते रहे और आर्थिक मदद भी करते रहे।

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