भोपाल। टाइगर स्टेट का दर्जा मध्यप्रदेश के पास रहेगा या नहीं इस बात का पता जल्द ही चल जाएगा। दरअसल, लंबे इंतजार के बाद बाघों की गणना आखिरकार इस महीने से शुरू होने जा रही है। 17 नवंबर से ये अभियान प्रारंभ होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में पहले 16 अक्टूबर से बाघों की गिनती शुरू होना थी लेकिन जंगल में बाघ की अधिकता और झरने, नदी-नालों के आसपास सतह पूरी तरह से नहीं सूखने के कारण बाघों की गिनती एक महीने के लिए टल गई थी। पहले चरण में सात दिन कर्मचारी जंगल में तय ट्रांजिट लाइन पर चलकर बाघ के पगमार्क, मल, पेड़ों पर खरोंच और घास में बैठने या लेटने के निशान देखकर क्षेत्र में उसकी उपस्थिति दर्ज करेंगे। इसके बाद दूसरे चरण में वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक उस क्षेत्र का सेटेलाइट से लिए गए डाटा का अध्ययन करेंगे। तीसरे चरण में ट्रैप कैमरे से बाघों के फोटो लिए जाएंगे, जिनका बाद में वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक आपस में मिलान करेंगे। चौथे और अंतिम चरण में सिर्फ टाइगर रिजर्व के अंदर विचरण करने वाले बाघों की गिनती होगी।
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून चार साल में एक बार बाघ आकलन कराता है। पिछला आकलन वर्ष 2018 में हुआ था जिसमें मध्य प्रदेश में 526 बाघों की गिनती हुई थी, जो देश में सबसे ज्यादा थे। इस बार भी प्रदेश के फॉरेस्ट अधिकारी उत्साह में हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश में टाइगर की संख्या बढ़कर 700 के पार पहुंच गई होगी जो देश में सबसे ज्यादा रहने की उम्मीद है।