नई दिल्ली
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे पंजाब के किसान दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर को खाली करने की तैयारी में जुट गए हैं। टिकरी बॉर्डर पर पंजाब के किसान इन दिनों हरियाणा के निवासियों के साथ आपसी भाईचारे के बंधन को और मजबूत करने के लिए एक विशेष काम पर हैं। दरअल, वे उन लोगों का सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए आस-पास के गांवों का दौरा कर रहे हैं, जिन्होंने पिछले एक साल में उन्हें खाने-पीने और मुफ्त आवास के रूप में सहायता प्रदान की। इतना ही नहीं, ये आंदोलनकारी किसान हरियाणा के लोगों को पंजाब आने का न्यौता भी दे रहे हैं। ट्रिब्यून इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब फार्म यूनियनों की एक समिति भी हरियाणा और पंजाब के लोगों को उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त करने के लिए बधाई और ध्यवाद दे रही है। रविवार को बीकेयू (सिद्धूपुर) के नेता टिकरी के पास बरही गांव पहुंचे और वहां कुछ ग्रामीणों को सिरोपा और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। संयुक्त पैनल ने मौजूदा आंदोलन की सफलता में उनके योगदान के सम्मान में मुख्य प्रदर्शन स्थल पर लगभग 20 स्थानीय लोगों और पंजाब के कई लोगों को सम्मानित किया।
बीकेयू (सिद्धूपुर) नेता लखविंदर सिंह ने कहा, 'ऐसा लगता है कि प्रदर्शन अब समाप्त होने वाला है, इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करें जो हमारे साथ खड़े थे। आंदोलन के दौरान बरही गांव के निवासियों ने दूध, सब्जियां, फल और अन्य खाद्य पदार्थों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की। हमने उन्हें भाईचारे के इस बंधन को मजबूत करने के लिए पंजाब में आमंत्रित किया है। वहीं, अधिवक्ता अमरवीर सिंह भुल्लर ने कल कहा कि उन्होंने पंजाब के किसानों को मुफ्त आवास प्रदान करने के लिए बहादुरगढ़ के एक व्यक्ति को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारी मदद करने वाले अंतिम व्यक्ति को सम्मानित नहीं किया जाता। हम कल दूसरे गांव जाएंगे। वहीं, बीकेयू (राजेवाल) के नेता परगट सिंह ने कहा कि वे हरियाणा के निवासियों द्वारा आंदोलन को सफल बनाने के लिए दिए गए समर्थन को कभी नहीं भूल सकते, इसलिए ऐसे व्यक्तियों को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम उन लोगों का भी सम्मान कर रहे हैं जो विरोध शुरू होने के बाद से टिकरी में हमारे साथ डेरा डाले हुए हैं। पंजाब और हरियाणा के किसानों की एकता ने हमारी ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाई।