नई दिल्ली
नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी में आम नागरिकों की मौत का मामला अभी ठंडा पड़ता नहीं दिख रहा है। अब एक विद्रोही संगठन ने इस गोलीबारी में मारे गये लोगों की मौत का बदला लेने की बात कही है। इस संगठन ने एक बयान जारी कर कहा है कि मारे गए निर्दोष लोगों का रक्त जाया नहीं होगा, जल्दी ही इसका बदला लिया जाएगा। 4 दिसंबर को हुई इस घटना के विरोध में राज्य के एक विद्रोही गुट ने बयान जारी कर वादा किया है कि निर्दोष लोगों के बहे खून का बदला जल्द या कुछ वक्त बाद लिया जाएगा। बयान में कहा गया है कि 'हमें आशा है कि जब अब हम लोग यह कदम उठाएंगे तब यहां हमारे लोग हमें समझेंगे।'
उठने लगी आफस्पा हटाने की मांग
सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत को लेकर आक्रोश के बीच नगालैंड के विभिन्न इलाकों में सोमवार को बंद का आयोजन किया गया था। वहीं, सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को निरस्त करने की मांग भी उठाई गई थी। प्रभावशाली संगठन नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) का छह घंटे का बंद रहा।खुद नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को निरस्त करने की मांग की। मोन मुख्यालय हेलीपैड ग्राउंड में शवों के अंतिम संस्कार के समय रियो ने कहा था, ''आफस्पा सेना को बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के नागरिकों को गिरफ्तार करने, आवासों पर छापा मारने और लोगों को मारने का अधिकार देता है, लेकिन सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है।'' मुख्यमंत्री ने कहा, ''उन्होंने (सेना) कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा कर दी है।'' सीएम ने कहा था कि नगालैंड और नागा लोगों ने हमेशा अफस्पा का विरोध किया है। इसे वापस लिया जाना चाहिए।
गोलीबारी, मौत और बवाल
नगालैंड में गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब सेना के जवानों ने बीते शनिवार की शाम को एक पिकअप वैन में घर लौट रहे कोयला खदान कर्मियों को प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (के) के युंग आंग गुट से संबंधित उग्रवादी समझ लिया और उनपर गोली चलाई। इस घटना में छह लोग मारे गए थे। जब मजदूर अपने घरों को नहीं लौटे, तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में गए और सेना के वाहनों को घेर लिया। इसके बाद हुई झड़प में एक सैनिक की मौत हो गई और कई वाहन जला दिए गए। सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद वहां प्रदर्शन शुरू हो गया था। पुलिस ने कहा था कि दंगा रविवार दोपहर तक जारी रहा। गुस्साई भीड़ ने कोन्यक यूनियन के कार्यालयों और इलाके में असम राइफल्स के शिविर में तोड़फोड़ की, और इसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी। सुरक्षा बलों ने हमलावरों पर जवाबी गोलीबारी की, जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई।
घटना की होगी जांच- शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नगालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों की मौत की घटना पर खेद प्रकट करते हुए सोमवार को कहा कि इसकी विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है तथा सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में ऐसे किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो। नगालैंड की घटना पर लोकसभा में अपने बयान में शाह ने कहा था कि सरकार इस क्षेत्र में उभरती स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है और वहां शांति एवं अमन सुनिश्चित करने के लिये जरूरी कदम उठाये गए हैं। उन्होंने कहा कि नगालैंड की घटना की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है जिसे एक महीने के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया है। गृह मंत्री ने कहा था, ''सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में विद्रोहियों के खिलाफ अभियान चलाते समय इस तरह की किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो।''
कांग्रेस का नागरिकों को समर्थन
इधर कांग्रेस ने ऐलान किया है कि उनका चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी से जुड़ी घटना के मद्देनजर जल्द ही घटनास्थल का दौरा करेगा और एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस प्रतिनिधिमंडल का गठन किया। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह, नगालैंड के पार्टी प्रभारी अजय कुमार, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और एंटो एंटनी शामिल हैं। उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नगालैंड के स्थानीय कांग्रेस नेताओं के मौके का दौरा करने का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी पार्टी राज्य के लोगों के साथ खड़ी है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, ''इस घटना में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना है। नगालैंड, हम आपके साथ हैं।''