हरिद्वार
हरिद्वार कुंभ में हुए कोरोना जांच घोटाले में भले ही मुख्य आरोपी पंत दंपति की गिरफ्तारी हो गई हो लेकिन क्या बिना सरकारी नुमाइंदों की मिलीभगत के घोटाला होना संभव है। यह बड़ा सवाल अब भी जस का तस है। एसआईटी भी इस सवाल पर टिप्पणी करने से बच रही है लेकिन घोटाले की हकीकत सामने आना जरूरी है। कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच पहले से तय नहीं थी उसकी रूपरेखा अचानक बनी थी। उसी दौरान पंत दंपति की मैक्स सर्विसेज की एंट्री होती है। उन्हें आनन फानन में कोरोना जांच का कार्य भी मिल जाता है। वह भी बिना किसी स्वास्थ्य सेवा के अनुभव के। सूत्रों की मानें तो मेला प्रशासन के एक बड़े अफसर से उनकी खासी नजदीकी थी और देहरादून में सचिवालय में तैनात एक बड़े साहब की करीबी महिला अफसर भी पंत दंपति से जुड़ी हुई है। सूत्रों के अनुसार सरकारी नुमाइंदों ने ही पंत दंपति की इस खेल में एंट्री कराई थी और चार करोड़ की रकम हड़पकर उसकी बंदरबांट की भी पूरी ्क्रिरप्ट लिख ली गई थी।
पांच आरोपी रडार पर
डीआईजी योगेंद्र रावत ने दावा किया कि जांच घोटाले में अब पांच आरोपी उनकी रडार पर हैं। लेकिन उनके नाम सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया। डीआईजी बोले कि आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द कर ली जाएगी, एसआईटी की जांच में उनके नाम सामने आ चुके हैं। बोले कि गिरफ्तारी के प्रयास भी जारी है।
आरोपियों पर इन धाराओं में दर्ज है केस
आरोपियों के खिलाफ हरिद्वार में आईपीसी की धारा 269, 270, 420, 467, 468, 471, 120- बी, आपदा प्रबंधन अधिनियम और तीन महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज है। जांच में सामने आया है कि इन लोगों ने महाकुंभ के दौरान एक लाख से ज्यादा फर्जी आरटी-पीसीआर टेस्ट कर उत्तराखंड सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व को नुकसान पहुंचाया।
ऐसे हुआ था घोटाला
कोरोना जांच घोटाले में उत्तराखंड ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों के लोगों के नाम का इस्तेमाल आरोपियों ने बखूबी किया। आमजन के मोबाइल फोन नंबरों के डाटा के माध्यम से इस घोटाले का ताना बाना बुना गया। बाकायदा मोबाइल फोन नंबरों पर कोरोना जांच के मैसेज भेजे गए। कई स्थानीय निवासियों के नंबरों पर भी इस तरह के मैसेज आ रहे थे, पर वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह क्या हो रहा है। कुंभ मेले के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के नाम पर 1,24031 व्यक्तियों की कोविड टेस्टिंग करने का दावा करते हुए चार करोड़ का बिल मेला प्रशासन को थमा दिया गया था। उसी के आधार पर भुगतान की पहली किस्त 15,41670 रुपए ले भी लिए गए थे। मेला प्रशासन से 354 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से जांच तय की गई थी।
ऐसे हुआ था खुलासा
पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में शिकायत दी थी। आरोप था कि उनके आधार और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल हरिद्वार महाकुंभ में कोविड-19 की रैपिड एंटीजन टेस्टिंग करने में किया गया है, लेकिन उन्होंने कभी न तो कोई सैंपल दिया और न ही वह कुंभ में हरिद्वार गए थे। यह शिकायत उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भेजी थी। रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए सैंपल कलेक्शन सेंटर का नाम मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज लिमिटेड अंकित किया था। वहीं, जिस लैब में शिकायतकर्ता का सैंपल जांचा गया था।
मनी लॉ्ड्रिरंग का मामला भी सामने आया था
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया था कि कोविड-19 जांच के ही लाखों लोगों की जांच रिपोर्ट तैयार की गई। फिर लाखों-करोड़ों रुपये का फर्जी बिल पेश किए गए। प्राथमिक जांच में 3 करोड़ 4 लाख रुपये के फर्जी बिल रिकॉर्ड सामने आए थे। अवैध तरीके से करोड़ो रुपये की मनी लॉ्ड्रिरंग का मामला भी सामने आया था। इसमें उत्तराखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच भी शुरू कर दी थी।