नई दिल्ली
संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलेगा. सोमवार को संसद मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) ने बैठक की और सत्र बुलाने के लिए राष्ट्रपति को एक सिफारिश भेजी. 25 दिनों के इस लंबे सत्र में 19 बैठकें होंगी, जो पिछले डेढ़ साल में हुए संसदीय सत्रों की तरह कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ ही होंगी. महामारी के कारण 2020 के अंत में कोई शीतकालीन सत्र नहीं हुआ, जबकि 14 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होने वाले मानसून सत्र 2020 को COVID-19 के कारण 23 सितंबर को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था.
साथ ही 31 जनवरी, 2020 को शुरू हुए बजट सत्र 2020 को 23 मार्च 2020 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस साल की शुरुआत में पेगासस स्पाइवेयर मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगने और तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर विपक्ष के विरोध और व्यवधानों से ही मानसून सत्र भरा रहा. सरकार और विपक्ष के बीच विरोध के कारण सत्र को अपने निर्धारित स्थगन से दो दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था..
शीतकालीन सत्र में विपक्ष महंगाई, लखीमपुर खीरी हिंसा, कश्मीर में नागरिकों पर आतंकवादी हमले और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार को घेर सकता है. इसके अलावा विपक्ष पेगासस मामले को लेकर भी सरकार पर हमलावर हो सकता है. वहीं सरकार के पास कई लंबित बिल हैं जिन्हें वह इस सत्र में आगे बढ़ाना चाहेगी.
इससे पहले मानसून सत्र में विपक्ष ने महामारी की दूसरी लहर के दौरान हालातों को लेकर प्रधान मंत्री पर निशाना साधा था.