नई दिल्ली
कोरोना महामारी का दौर दुनिया में अगर सबसे ज्यादा चुनौती भरा किसी के लिए रहा है तो वे हमारे मासूम बच्चे हैं। महामारी के कारण पूरी दुनिया में सबसे पहले स्कूल ही बंद किए गए थे, जिसने बच्चों से उनके दोस्तों व शिक्षकों को लंबे वक्त के लिए दूर कर दिया। भारतीय बच्चे करीब 20 माह बाद स्कूलों को लौट आए हैं मगर स्कूलबंदी का यह दौर दुनिया के कई लाख बच्चों के लिए तो आजतक जारी है। छोटी सी उम्र में इन बच्चों ने महामारी के कारण घर और समाज के कई ऐसे उतार-चढ़ाव भी देखे, जिन्हें समझ पाने या साझा कर पाना वे अभी नहीं जानते। इसी को देखते हुए बच्चों के महामारी के अनुभवों से उनके पढ़ने में आयीं रुकावटों को समझकर हम सबको उन्हें आगे बढ़ने में मदद करनी है। यही इस साल के बाल दिवस की थीम भी है।
इन पांच रुकावटों का बालमन पर असर :
यूनिसेफ के मुताबिक, महामारी के कारण बच्चे जब बाहर जाकर हमउम्र बच्चों संग खेल नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर ज्यादा समय देना शुरू कर दिया। इस आदत ने न सिर्फ बच्चों की नींद की आदत पर असर किया बल्कि कइयों को आंखों से जुड़ी परेशानियां भी आने लगीं। यूनिसेफ ने कई बार चिंता जतायी कि घर में रहते हुए दो साल से छोटे बच्चे भी मोबाइल के आदी हो रहे हैं जो बेहद खतरनाक है। बहुत से बच्चे भोजन के समय और सोने से पहले वीडियो देखने या गेम के आदी हो गए थे। गौरतलब है कि 2 साल से छोटे बच्चों का स्क्रीनटाइम बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

