भोपाल
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की मार्कशीट में अजब-गजब कारनामे सामने आ रहे हैं। विद्यार्थियों को त्रुटियुक्त मार्कशीट आवंटित की जा रही हैं। वहीं छात्राओं को छात्रों के लगे फोटोयुक्त मार्कशीट दी जा रही हैं। इस संबंध में बीयू कर्मचारी संघ ने रजिस्ट्रार को पत्र संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने मांग की है।
बीयू ने यूजी और पीजी की सभी परीक्षाओं के रिजल्ट जारी कर दिए हैं। बीयू कर्मचारियों द्वारा रिजल्ट संबंधी कार्य सही किया है। इसके बाद भी विद्यार्थियों को त्रुटियुक्त मार्कशीट दी जा रही हैं। छात्र की मार्कशीट पर छात्रा का फोटो चस्पा किया गया है। जिन छात्राओं का फोटो छात्रों की मार्कशीट पर लगा है। वे पशोपेश में है कि उनकी फोटो बीयू किसी छात्र की मार्कशीट पर कैसे चस्पा कर सकता है।
जारी मार्कशीट किसी विद्यार्थी की है और फोटो किसी और विद्यार्थी का लगा हुआ है। बीयू ने मार्कशीट तैयार करने का ठेका इंदौर की ओसवाल कंपनी को दिया है, जो गलत मार्कशीट जारी कर रहा है। बिना परीक्षण कर जारी की गई मार्कशीट अब विद्यार्थियों की परेशानी का कारण बन गई हैं। वे अपनी मार्कशीट सुधारवाने बीयू में आवेदन कर रहे हैं, जिनकी संख्या हजारों में पहुंच गई है।
बीयू कर्मचारी संघ ने रजिस्ट्रार आईके मंसूरी को पत्र खिलकर ओसवाल कंपनी को हटाकर दोबारा से निविदा बुलाने की मांग की है। ओसवाल ने पूर्व में उज्जैन विवि में कार्य किया था, जिसमें काफी गड़बड़ी आई थी। इसके पहले पांच साल पहले तत्कालीन कुलपति मुरलीधर तिवारी ने ओसवाल पर दस लाख का जुर्माना लगाकर ब्लैक लिस्टेड किया था। ओसवाल कंपनी के पास बिल्डिंग का बड़े स्तर का कार्य है। इसके साथ वह रिजल्ट बनाने का ठेका भी लेता है। इसलिए वह तिहाड़ी मजदूर को कम्प्यूटर आॅपरेटर बताकर टेंडर लेता है। जबकि नियमानुसार रिजल्ट तैयार करने का ठेका लेने के लिए कंपनी में पचास कर्मचारी और उनका वेतन 21 हजार मासिक होना अनिवार्य है।
टेंडर में ओसवाल कंपनी ने एक विद्यार्थी का रिजल्ट तैयार की शुल्क 30 रुपए दिया है। जबकि डीएमसी नागपुर ने 32 रुपए दिया है। डीएमसी के पास प्रशिक्षित कर्मचारियों साथ मार्कशीट की गुणवत्ता और अन्य सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बाद भी बीयू उसे नजरअंदाज कर रहा है। जबकि बीयू उससे कुछ वर्षों से रिजल्ट बनवा रहा है। सिर्फ दो रुपए के फर्क के चलते डीएमसी की गुणवत्ता और सुविधाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।

