पटना
बिहार में जन्म के पांच साल पूरा होने के बाद 182 बेटियों की मौत हो जाती है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) – 5 के अनुसार बिहार में प्रति एक हजार लड़कों पर 1090 लड़कियों का जन्म हो रहा है। लेकिन पांच साल की उम्र होने के बाद इनकी संख्या घटकर 908 हो जा रही हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रति हजार लड़कों पर 1020 लड़कियों का जन्म हो रहा है। पांच साल की होने तक इनमें 929 ही जीवित रह पा रही हैं। इस प्रकार, राष्ट्रीय स्तर पर लिंगानुपात के तहत जन्म के पांच साल बाद तक 91 लड़कियां कम हो जा रही हैं।
बिहार में 47 बच्चे नहीं मना पाते हैं पहला जन्म दिन
एनएफएचएस-5 के अनुसार बिहार में 47 बच्चे अपना पहला जन्म दिन नहीं मना पाते हैं। राज्य में प्रति हजार बच्चों पर शिशु मृत्यु दर (एक साल तक के बच्चे) 47 है। जबकि पांच साल तक की उम्र तक 56 बच्चों की मौत हो जा रही है। एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार प्रति हजार बच्चों में मुस्लिम समाज में 50 बच्चों, हिंदू समाज में 46 बच्चों, अनुसूचित जाति में 48 बच्चों एवं पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में 46 बच्चों की मौत हो जाती है।
राज्य में शिशु मृत्यु दर में आयी कमी
राज्य में शिक्षा व प्रजनन दर का एक दूसरे के साथ अभिन्न संबंध पुन: स्थापित हुआ है। एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट के अनुसार 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की प्रजनन वाली माताओं में अशिक्षित माताओं की प्रजनन दर 3.77 है। जबकि पांचवीं कक्षा तक की शिक्षित माताओं में प्रजनन दर 3.5, पांचवीं से नौवीं तक की शिक्षित माताओं में 3, दसवीं व 11 वीं तक की शिक्षित माताओं में 2.4 और 12 वीं कक्षा या उससे अधिक शिक्षित माताओं में 2.2 है। गौरतलब है कि हिंदू समाज में प्रजनन दर 2.88 है तो मुस्लिम समाज में 3.63 है।

