Thursday, December 18

सपा कैसे संतुष्ट करेगी सहयोगी दलों को?, अखिलेश यादव के लिए चुनौती

सपा कैसे संतुष्ट करेगी सहयोगी दलों को?, अखिलेश यादव के लिए चुनौती


लखनऊ
जातीय समीकरणों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी  गठबंधन का दायरा तो काफी बढ़ा रही है लेकिन सभी सहयोगियों को संतुष्ट करते हुए सीट बंटवारा बड़ी चुनौती है। एक ओर पार्टी को अपने यहां के दावेदारों को मनाए रखना है तो दूसरी ओर सहयोगी दलों की महत्वकांक्षाओं को देखना है।  

सपा के गठबंधन में छह दल आ चुके हैं, और तीन चार और आने की तैयारी में हैं। इनकी सीटों की मांग तो सौ से भी ज्यादा है, लेकिन माना जा रहा है कि सपा मौजूदा सहयोगियों के लिए 50 से 60 सीटें छोड सकती है। लेकिन अगर नए सहयोगियों के साथ आगे गठजोड़ होता है तो यह संख्या और काफी बढ़ जाएगी।  
सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की ओर से बीस सीटों की मांग हो रही है। राजभर वोटों पर दावा करने वाली पार्टी को सपा 10 से 12 सीटें दे सकती है। महान दल ,एनसीपी व जनवादी पार्टी सोशलिस्ट यह  दल काफी समय से सपा के साथ हैं लेकिन इनका सीमित असर को देखते हुए इन्हें 8 सीटें मिल सकती हैं। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी दो तीन सीट पा सकती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सबसे ताकतवर सहयोगी रालोद को 30-36 सीटें देने पर सहमति जताई है।

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