भोपाल
राजधानी सहित प्रदेश के एक लाख से ज्यादा आबादी वाले सभी शहरों में 24 घंटे पानी सप्लाई की जाएगी। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इन शहरों के एक-एक वार्ड में यह व्यवस्था लागू होगी। गुण-दोष के आधार पर यह योजना एक साल के अंदर इन शहरों के सभी वार्डों में लागू की जाएगी।
कोई चार्ज नहीं देना होगा
चौबीस घंटे तक पानी सप्लाई के लिए इन वार्डों के उपभोक्ताओं को कोई चार्ज नहीं देना होगा, लेकिन मीटर लगाया जाएगा। आकलन किया जाएगा कि एक घर के लिए औसतन कितना पानी लगता है। इससे पानी की दरों का भी आकलन किया जाएगा। वर्तमान में नलों से एक घंटे पानी सप्लाई किया जाता है। इसके लिए उपभोक्ताओं से एक निर्धारित राशि वसूली जाती है। इससे सरकार यह तय करेंगी कि एक घर के लिए कितने लीटर पानी की जरूरत होती है। इन घरों को पानी की जरूरत कितने बजे से कितने बजे तक होती है। इसकी डिटेल रिपोर्ट स्मार्ट मीटर रीडिंग के आधार पर की जाएगी। प्रदेश में एक लाख से अधिक आबादी के 33 शहर हैं, जिनमें सीवरेज और पानी सप्लाई के लिए 80 फीसदी नेटवर्क तैयार हो चुके हैं। इन शहरों के लिए अमृत योजना-एक में इन कामों के लिए राशि जारी की गई थी।
नेटवर्किंग तैयार करने बनेगी डीपीआर
एक वार्ड में पानी सप्लाई के लिए कार्ययोजना निकायों को बनाना होगा। निगरानी रखने के लिए अलग से नेटवर्क तैयार होगा। सरकार का मानना यह है कि लोग टंकियों में पानी न भरें, जब भी उन्हें पानी की जरूरत हो तो नल खोलकर पानी का उपयोग करें। इससे पानी नालियों में बेकार नहीं बहेगा, पानी का उपयोग भी किफायत से होगा।
आखिर में बिल वसूली
महीने के आखिर में बिल वसूली की जाएगी। साथ ही मीटर की रीडिंग भी हर माह ली जाएगी। इन कामों को एक निजी एजेंसी को दिया जाएगा। जिन शहरों में इन कामों को करने के लिए एजेंसियां तय नहीं हो पाएंगी, वहां निकाय के कर्मचारी ये काम देखेंगे।

