श्रावस्ती
सिंचाई संसाधनों की कमी से जूझ रहे श्रावस्ती जनपद को सरयू परियोजना वरदान के रूप में मिली है। इस परियोजना से श्रावस्ती की हजारों एकड़ भूमि सिंचित होगी तो वहीं इससे जिले के एक लाख किसानों को लाभ मिलेगा। इस ऐतिहासिक परियोजना का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलरामपुर की धरती से लोकार्पण किया।
तराई क्षेत्र में स्थित श्रावस्ती जनपद में यदि को सबसे बड़ा अभाव है तो वह सिंचाई संसाधनों का है। विशेषकर सिरसिया विकास क्षेत्र पथरीली जमीन होने के कारण बोरिंग पास नहीं होती यदि होती भी है तो उसमें आर्थिक खर्च अधिक होता है। जो क्षेत्र के सभी किसान चुकाने में सक्षम नहीं है।
सिंचाई के लिए किसानों को माइनर नहरों या फिर बरसात के भरोसे रहना पड़ता था। ऐसे में लोगों को सरयू नहर परियोना के रूप में सुलभ सिंचाई साधन की सौगात मिली है जिसका फायदा लाखों किसानों को होगा। इस परियोजना को पांच नदियों से जोड़ा गया है जिसके चलते कभी भी नहर में पानी की कमी होने की संभावना नहीं है।
इससे समय समय पर किसानों को अपने फसलों की सिंचाई करने में सुविधा होगी और इससे उत्पादन बढ़ने की भी उम्मीद जताई जा रही है। सरयू नहर से श्रावस्ती की 34 हजार 800 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इससे 211 गांव के एक लाख से अधिक किसान लाभांवित होंगे। यह नहर राप्ती बैराज से निकल कर पिपरी गांव तक श्रावस्ती में 36 किलोमीटर गई है। इसके बाद बलरामपुर जिले में प्रवेश कर जाती है।
छोटे स्तर पर शुरू हुआ था काम
शुरू में 78.68 करोड़ की लागत से 1978 में दो जिलों में सिंचाई के लिए राज्य सरकार ने छोटे स्तर पर इस परियोजना की शुरुआत की थी। इसके बाद 1982 में इसे विस्तारित करते हुए श्रावस्ती सहित नौ जनपदों को इस परियोजना से जोड़ा गया। 2012 में परिवर्तित कर इसका नाम सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना किया गया। नाम बदलने के साथ साथ इसकी लागत भी 78.68 करोड़ से बढ़ कर 2021 तक 9802.68 करोड़ रुपये हो गई।

