देहरादून
प्राइवेट स्कूलों में छात्र संख्या,उनकी फीस व अन्य शुल्क के अनुसार शिक्षक-कार्मिकों के वेतन भी तय किए जा सकेंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बनने जा रहे राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) को सरकार सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा और मानव संसाधन की बेहतरी के लिए ठोस कदम उठाने के लिए अधिकार संपन्न बनाएगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि सरकार की पहली प्राथमिकता सर्वसुलभ और सस्ती शिक्षा है। इसके साथ ही स्कूलों में कार्यरत कार्मिकों के हितों की रक्षा पर भी सरकार का फोकस है। दोनों पहलुओं का अध्ययन करते हुए ही प्राधिकरण की शक्तियां तय की जाएंगी। प्राधिकरण को स्कूल फीस तय करने का अधिकार तो होगा ही। साथ में स्कूलों की परिसंपत्ति, छात्र-शिक्षक अनुपात भी तय करेगा। वर्तमान मानक के अनुसार 30 छात्र पर एक शिक्षक होना अनिवार्य है। अक्सर देखा गया है कि निजी स्कूलों में एक ही कक्षा में तीस से ज्यादा छात्र होने पर भी एक ही शिक्षक कार्यरत रहता है। सरकारी स्कूलों में जरूर अभी यह मानक 20 और एक तक सिमटा हुआ है। छात्र संख्या कम होने के कारण यहां शिक्षक संख्या अनुपात से ज्यादा है।
मानक पूरे करने पर ही स्कूल को मान्यता
अब तक मान्यता के मानक कुछ सरल है। स्कूलों को तय मानक पूरे न होने पर भी मान्यता मिल जाती है। स्कूल को कमियों को दूर करने के लिए कुछ समय दे दिया जाता है। लेकिन प्राधिकरण के गठन के बाद यह बंद हो जाएगा। मानक पूरे करने पर ही स्कूलों को मान्यता मिलेगी।
शिक्षा अधिकारियों को मुआयने का अधिकार
वर्तमान में राज्य के निजी स्कूलों में शिक्षा विभाग का दखल काफी कम है। खासकर नामी स्कूलों में तो शिक्षा अधिकारी झांकने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाते। प्राधिकरण में इसका प्रावधान किया जाएगा कि शिक्षा अधिकारी भी सरकारी के समान निजी स्कूलों का समय समय पर औचक मुआयना कर सकें।

