रायपुर
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ.दिनेश मिश्र ने बालाघाट मध्यप्रदेश में जनजागरण अभियान में कहा किसी भी व्यक्ति को बचपन से ही अक्षर ज्ञान के साथ सामाजिक अंधविश्वासों व कुरीतियों के संबंध में सचेत किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक जागरूकता के विकास से विभिन्न अंधविश्वासों व कुरीतियों का निर्मूलन संभव है, व्यक्ति को अपनी असफलता का दोष ग्रह नक्षत्रों को देने की बजाय स्वयं की खामियों पर विश्लेषण करना चाहिए। बैहर बालाघाट के विधायक संजय उइके ,अनीस जी,सहित अनेक सामाजिक कार्यकतार्ओं से चर्चा की.तथा बालाघाट व समीपवर्ती ग्रामीण अंचल में निरन्तर जनजागरण अभियान चलाने के सम्बंध में विचार विमर्श किया.तथा विधायक संजय उइके तथा सामाजिक कार्यकतार्ओं को अंधविश्वास निर्मूलन से सम्बंधित किताबें ,पम्पलेट ,जानकारी प्रदान की गयी.
डॉ. मिश्र ने बालाघाट मे आयोजित जनजागरण कार्यक्रम में कहा हमारे देश के विशाल स्वरूप में अनेक जाति, धर्म के लोग हैं जिनकी परंपराएँ व आस्था भी भिन्न-भिन्न है लेकिन धीरे धीरे कुछ परंपराएँ, अंधविश्वासों के रूप में बदल गई है। जिनके कारण आम लोगों को न केवल शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ता है बल्कि ठगी का शिकार होना पड़ता है। कुछ चालाक लोग आम लोगों के मन में बसे अंधविश्वासों, अशिक्षा व आस्था का दोहन कर ठगते हैं। उन अंधविश्वासों व कुरीतियों से लोगों को होने वाली परेशानियों व नुकसान के संबंध में समझा कर ऐसे कुरीतियों का परित्याग किया जा सकता है। विभिन्न सामाजिक व चिकित्सा के संबंध में व्याप्त अंधविश्वासों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा देश के विभिन्न प्रदेशों में अनेक प्रकार के अंधविश्वास प्रचलित हैं जो न केवल समाज की प्रगति में बाधक हैं बल्कि आम व्यक्ति के भ्रम को बढ़ाते हैं, उसके मन की शंका-कुशंका में वृद्धि करते हैं।
डॉ. मिश्र ने कहा देश के अनेक प्रदेशों में डायन/ टोनही के सन्देह में महिला प्रताडऩा की घटनाएँ आम है ,जिनमें किसी महिला को जादू-टोना करके नुकसान पहुँचाने के संदेह में हत्या, मारपीट कर दी जाती है जबकि कोई नारी टोनही या डायन नहीं हो सकती, उसमें ऐसी कोई शक्ति नहीं होती जिससे वह किसी व्यक्ति, बच्चों या गाँव का नुकसान कर सके। जादू-टोने के आरोप में महिला प्रताडऩा रोकना आवश्यक है। अंधविश्वासों के कारण होने वाली टोनही प्रताडऩा/बलि प्रथा जैसी घटनाओं से भी मानव अधिकारों का हनन हो रहा है। अंधविश्वासों एवं सामाजिक कुरीतियों के निर्मूलन के लिये पिछले पच्चीस वर्षों से कोई नारी डायन/टोनही नहीं अभियान चलाया जा रहा है।

