Monday, December 29

पूर्वोत्तर के राज्यों से हटेगा AFSPA?

पूर्वोत्तर के राज्यों से हटेगा AFSPA?


गुवाहाटी

नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में आम नागरिकों की जान जाने के बाद से ही पूर्वोत्तर के राज्यों से अफ्सपा यानी की सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम को हटाए जाने की मांग ने फिर से जोड़ पकड़ा। हालांकि, इसको लेकर बीते साल कोई फैसला नहीं हुआ लेकिन नए साल पर इसको हटाया जा सकता है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने खुद ही ऐसे संकेत दिए हैं। दरअसल, सरमा ने शनिवार को बयान दिया कि अफ्सपा के बारे में इस साल कुछ सकारात्मक घटनाक्रम होने की उम्मीद की जा सकती है। अब सरमा के इस बयान को लेकर कयासबाजी शुरू हो गई है

पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सरमा ने कहा कि अफ्सपा के सिलसिले में पड़ोसी नगालैंड में जल्द ही ''कुछ सकारात्मक घटनाक्रम'' होंगे। इस राज्य में भी अफ्सपा लागू है। उन्होंने कहा कि उग्रवाद के कमजोर पड़ने के चलते असम के पांच-छह जिलों को छोड़ कर राज्य से सेना हटा ली गई है और जब इस साल अफ्सपा की समीक्षा की जाएगी, तब राज्य सरकार कोई व्यावहारिक निर्णय लेगी। पूर्वोत्तर के विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अफ्सपा को अक्सर क्रूर अधिनियम बताया जाता रहा है क्योंकि इसके तहत सशस्त्र बलों को अशांत इलाकों में लोक व्यवस्था कायम रखने के लिए विशेष शक्तियां दी गई हैं और इसे हटाने की मांग नागरिक समाज संस्थाएं तथा मानवाधिकारों के पैरोकार करते रहे हैं।
 

असम में नवंबर 1990 में अफ्सपा लगाया गया था और तब से इसे हर छह महीने पर राज्य सरकार द्वारा समीक्षा के बाद विस्तारित किया गया। सरमा ने कहा, ''जहां तक अफ्सपा की बात है, असम में 2022 में कुछ तर्कसंगत कदम उठाये जाएंगे…कैसे और कब, हम नहीं जानते। लेकिन मैं आशावादी हूं। हम 2022 को उम्मीद भरे वर्ष के तौर पर देख रहे हैं। अफ्सपा के बारे में कुछ सकारात्मक क्षण होंगे।''

नगालैंड में अफ्सपा जारी रहने के बारे में उन्होंने का कि केंद्र ने इस विषय की जांच के लिए (26 दिसंबर को) एक समिति गठित की है। उन्होंने कहा, 'समिति 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और मुझे उम्मीद है कि वहां कुछ सकारात्मक घटनाक्रम होंगे।' नगालैंड में सेना के हाथों पिछले साल दिसंबर में 13 आम लोगों के मारे जाने और एक अन्य घटना में एक और व्यक्ति के मारे जाने के बाद असम में भी अफ्सपा हटाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। यह अधिनियम मणिपुर में (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़ कर), अरूणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगदिंग और तिरप जिलों में तथा असम से लगने वाले उसके सीमावर्ती जिलों के आठ पुलिस थाना क्षेत्रों के अलावा नगालैंड और असम में लागू है। केंद्र ने इस हफ्ते की शुरूआत में नगालैंड में इसे छह महीने के लिए विस्तारित कर दिया।

सरमा ने यह भी कहा कि राज्य में जनजातीय उग्रवाद का युग समाप्त हो गया है क्योंकि सभी उग्रवादी संगठन सरकार के साथ वार्ता के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि उल्फा (आई) द्वारा संप्रभुता की मांग एक बाधा है और उनकी सरकार गतिरोध दूर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जनजातीय लोग अब उग्रवाद के खिलाफ दृढ़ता से खड़े हैं। सरमा ने कहा, ''जनजातीय उग्रवाद का युग समाप्त हो गया है…हमारी अंतिम बाधा उल्फा (आई) है। उसे छोड़ कर, अन्य सभी संगठनों ने हथियार डाल दिये हैं।'

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