Monday, December 15

दिल्ली की जहरीली हवा: बच्चों की सेहत पर बड़ा खतरा

दिल्ली की जहरीली हवा: बच्चों की सेहत पर बड़ा खतरा


 

नई दिल्ली

 राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करना शुरू कर दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि शहर के छोटे निवासी लगातार पुरानी सांस की बीमारियों और श्वसन संबंधी जटिलताओं का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदूषित हवा के लगातार संपर्क में रहने से बच्चों के विकसित हो रहे फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ रहा है। इसमें हल्की ब्रोंकाइटिस से लेकर तीव्र श्वसन नली की सूजन और गंभीर सर्जरी तक की स्थिति देखी जा रही है।

प्रदूषण के कारण बच्चों में सांस की समस्याएं बढ़ रही हैं

हाल ही में एक मां ने बताया कि दिल्ली आने के बाद प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने के कारण उनके पांच साल के बच्चे को टॉन्सिल की सर्जरी करानी पड़ी। बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे मामले पूरे इलाके में बढ़ रहे हैं। डॉक्टर ने तीन साल के एक बच्चे का उदाहरण दिया, जिसे भयंकर धुंध के दौरान तीव्र ब्रोंकियोलाइटिस की शिकायत के साथ अस्पताल लाया गया। उन्होंने कहा, "खांसी से शुरू हुई समस्या धीरे-धीरे सांस लेने में तकलीफ़ में बदल गई। कोई संक्रमण नहीं पाया गया। यह प्रदूषण के कारण हुई श्वसन नली की सूजन थी। बता दें की उत्तर-पश्चिम दिल्ली के शालीमार बाग में पांच साल के एक बच्चे को भी प्रदूषित हवा के कारण गंभीर श्वसन समस्याओं का सामना करना पड़ा। जांच में एडेनॉइड्स बढ़े हुए पाए गए और सर्जरी की संभावना जताई गई। गाजियाबाद के अस्पताल में छह महीने के एक बच्चे को गंभीर घरघराहट वाली ब्रोंकाइटिस के कारण लाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी श्वास नलिकाएं उत्तेजित और संकरी हो गई थीं। नेबुलाइजेशन और मेडिकल देखभाल के बाद उसकी हालत अब स्थिर है।

प्रदूषण बच्चों की रोज़मर्रा की जिंदगी भी प्रभावित कर रहा है
राज नगर एक्सटेंशन में रहने वाले 11 साल के एक बच्चे के पिता ने बताया कि उनके बेटे को बाहर खेलने के दौरान केवल कुछ मिनटों में ही सांस फूलने लगी। डॉक्टरों ने बताया कि यह किसी संक्रमण के कारण नहीं, बल्कि प्रदूषण की वजह से श्वास नलियों में जलन की प्रतिक्रिया थी। गाजियाबाद में सात साल की एक बच्ची को लगातार घरघराहट की शिकायत हुई। उसे बार-बार नेबुलाइजेशन , ओरल (Oral) और अंतःशिरा स्टेरॉयड्स  लेने पड़े। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण न केवल मौजूदा बीमारियों को बढ़ा रहा है, बल्कि नई बीमारियों को भी जन्म दे रहा है। गुड़गांव के आर्टेमिस अस्पताल में ईएनटी विभाग के प्रमुख ने 13 वर्षीय एक बच्चे का उदाहरण साझा किया, जो हाल ही में सिंगापुर से आया था। वहां उसे कोई श्वसन समस्या नहीं थी, लेकिन दिल्ली में आने के तुरंत बाद उसे एडेनॉइड हाइपरट्रॉफी हो गई।

गंभीर और दुर्लभ मामलों की बढ़ती संख्या
अक्टूबर के अंत से नवंबर तक, प्रदूषण के सबसे खराब हफ्तों में किशोरों में पल्मोनरी एम्बोलिज़्म (फेफड़ों में थक्का) के मामले भी सामने आए। मैक्स, वैशाली में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख ने बताया कि 17 वर्षीय एक लड़के में अत्यधिक प्रदूषित हवा के लंबे समय तक संपर्क के कारण पैरों में थक्के बन गए, जो फेफड़ों तक पहुंच गए। यदि इलाज समय पर न होता, तो यह जानलेवा हो सकता था।

प्रदूषण से बचने के लिए विशेषज्ञों की चेतावनी
डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है और बच्चों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाना बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि विकसित होते फेफड़े सबसे अधिक प्रभावित होते हैं और लंबे समय तक विषाक्त वातावरण में रहने से गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *