Sunday, December 21

बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग: चिराग पासवान बोले-नीतीश विपक्ष में शामिल हो PM के दावेदार बनना चाहते हैं

बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग: चिराग पासवान बोले-नीतीश विपक्ष में शामिल हो PM के दावेदार बनना चाहते हैं


पटना
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने शुक्रवार (21 जनवरी) को कहा कि पार्टी ने बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को पत्र लिखकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है ताकि नकली शराब के सेवन से होने वाली मौतों को रोका जा सके। बिहार, शराब की बिक्री और खपत के खिलाफ कड़े निषेध कानून वाला राज्य, अक्सर अवैध शराब के सेवन से होने वाली मौतों का गवाह बनता है। बिहार के सारण जिले में इस सप्ताह कथित जहरीली शराब की घटनाओं में 15 लोगों की मौत हुई है। लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा, नकली शराब के सेवन से होने वाली मौतों को रोकने के लिए हमने राज्यपाल को बिहार में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने के लिए पत्र लिखा है।

चिराग पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, ''सीएम नीतीश कुमार जानबूझकर बिहार को पेगासस, जाति जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण बिल और विशेष दर्जा जैसे मुद्दे उठाते हैं, जिस पर भाजपा का रुख पहले से ही स्पष्ट है। वह शायद विपक्ष में शामिल होकर पीएम पद के दावेदार बनना चाहते हैं।''

जीतन राम मांझी बोले- मेरा नीतीश जी से मतभेद है
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम-एस के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बिहार में शराबबंदी पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश से शराबबंदी कानूनों के कार्यान्वयन पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। मांझी ने कहा था, "मुख्यमंत्री को शराबबंदी लागू करने पर पुनर्विचार करना चाहिए। केवल गरीब लोगों को पकड़ा और परेशान किया जा रहा है। अवैध शराब व्यापार रैकेट में शामिल लोगों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। इस मुद्दे पर मेरा नीतीश जी से मतभेद है। 70% जो लोग पकड़े जा रहे हैं, वे गरीब हैं।''

2016 से बिहार में शराबबंदी
सीएम नीतीश कुमार ने राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और 2016 में इसके सेवन को अपराध घोषित कर दिया। सरकार को लगातार शराब की घटनाओं और बढ़ते कानूनी मामलों और भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार अब पहली बार अपराधियों को राहत देने के लिए कुछ कड़े प्रावधानों में ढील देने पर विचार कर रही है। आबकारी एवं मद्यनिषेध विभाग ने शराबबंदी का महिलाओं और आम लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का सोशल ऑडिट कराने की कवायद भी शुरू कर दी है।

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