भोपाल
मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि की पूरी संभावना है पर कारिडोर विकसित किए बगैर बाघों की बढ़ती आबादी को संभाल पाना मुश्किल होने लेगा है। वन अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश में बाघों को रखने की मौजूदा क्षमता सात सौ है। यह आंकड़ा वर्तमान बाघ गणना में पार होने की पूरी संभावना है। ऐसे में कारिडोर विकसित करना जरूरी हो गया है। वरना, आने वाले समय में बाघों के बीच झगड़े बढ़ेंगे, वे जंगलों से बाहर निकलेंगे और मौत का ग्राफ भी। वर्तमान में प्रदेश में एक भी ऐसा कारिडोर नहीं है, जो बगैर मानवीय दखल के एक से दूसरे संरक्षित क्षेत्र को जोड़ता हो। यही कारण है कि प्रदेश में बाघों की मौत का ग्राफ भी देश में सबसे अधिक है। पिछले एक साल में 46 बाघों की मौत हुई है।
वर्ष 2018 के बाघ आकलन के अनुसार प्रदेश में 526 बाघ हैं। यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है, जो इस साल की जा रही गणना में सात सौ के पार जाने की संभावना जताई जा रही है। यह स्थिति मध्य प्रदेश के गौरव और पर्यटन के लिहाज से तो ठीक है, पर बाघों के लिहाज से बेहतर नहीं कही जा सकती है। क्योंकि प्रदेश की बाघ धारण क्षमता में पिछले सालों में वृद्धि नहीं हुई है। कारिडोर विकास की बात लंबे समय से कही जा रही है पर अब तक कोई सकारात्मक प्रयास नजर नहीं आए हैं। यही कारण है कि बाघ जंगलों से बाहर दिखाई दे रहे हैं।

