Sunday, December 28

RSS में बड़ा organizational बदलाव, प्रांत प्रचारकों की संख्या घटाने की तैयारी

RSS में बड़ा organizational बदलाव, प्रांत प्रचारकों की संख्या घटाने की तैयारी


नागपुर 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपने 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर संगठनात्मक ढांचे में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव करने की तैयारी में है. संघ समय-समय पर खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढालता रहा है. कुछ वर्ष पहले जब संघ ने अपनी पारंपरिक ड्रेस में बदलाव किया था, तब भी यह चर्चा का विषय बना था. अब शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ की आंतरिक संरचना में व्यापक परिवर्तन प्रस्तावित है, जिसे संगठन के भविष्य के विस्तार और कार्यकुशलता से जोड़कर देखा जा रहा है.

सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव का सबसे बड़ा असर प्रांत प्रचारक की व्यवस्था पर पड़ेगा. नई रचना के तहत अब प्रांत प्रचारक की जगह संभाग प्रचारक नियुक्त किए जाएंगे. संभाग प्रचारकों का कार्यक्षेत्र प्रांत प्रचारकों की तुलना में छोटा होगा, जिससे संगठनात्मक कामकाज अधिक प्रभावी और ज़मीनी स्तर पर सशक्त हो सकेगा. इसके साथ ही हर राज्य में एक राज्य प्रचारक की व्यवस्था की जाएगी, जो पूरे राज्य में संघ के काम का समन्वय करेंगे. संघ की नई संरचना में लगभग दो सरकारी मंडलों (कमिश्नरी) को मिलाकर एक संभाग बनाया जाएगा. उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश को देखा जाए तो वर्तमान में संघ ने राज्य को छह प्रांतों (ब्रज, अवध, मेरठ, कानपुर, काशी और गोरक्ष) में विभाजित किया हुआ है. वहीं, प्रशासनिक रूप से उत्तर प्रदेश में 18 मंडल हैं. नई व्यवस्था के अनुसार इन 18 मंडलों को मिलाकर 9 संभाग बनाए जाएंगे. यानी उत्तर प्रदेश में अब नौ संभाग प्रचारक होंगे और पूरे राज्य के लिए एक राज्य प्रचारक कार्य करेगा. फिलहाल प्रदेश में छह प्रांत प्रचारक जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

कई बदलाव की हो चुकी तैयारी

मौजूदा व्यवस्था में उत्तर क्षेत्र में हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर राज्य आते हैं. अब आगे इसमें राजस्थान को भी जोड़ने की तैयारी है. प्रांत प्रचारक के जगह राज्य प्रचारक बनाए जाएंगे. संघ में प्रांत व्यवस्था को खत्म किया जा सकता है. संघ ढांचा में अब तक महत्वपूर्ण माने जा रहे प्रांत प्रचारक व्यवस्था अब आगे नहीं रहेगा.

हर राज्य में होगा एक राज्य प्रचारक

अब देश के हरेक राज्य के एक एक प्रचारक होंगे जिन्हें राज्य प्रचारक कहा जाएगा. मसलन उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में सात प्रांत प्रचारक के जगह अब एक राज्य प्रचारक होंगे. संभागीय प्रचारक: कमिश्नरी लेवल पर संभागीय प्रचारक की नई व्यवस्था शुरू होगी. राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश में 75 से ज्यादा संभागीय प्रचारक की नई व्यवस्था होगी.

सुझावों के आधार पर तय किए गए बदलाव

संभागीय प्रचारक के नीचे के व्यवस्था पहले के तरह ही जारी रहेगा. संभाग प्रचारक के नीचे विभाग प्रचारक और जिला प्रचारक व्यवस्था पूर्ववत चलता रहेगा. 100 साल पूरे होने पर संघ ने आंतरिक व्यवस्था और संगठन पदानुक्रम के पुनर्गठन पर सुझाव देने के लिए एक टीम बनाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट और सुझाव सौंप दिया है. संघ की जिस टोली को दिए गए थे उन्होंने अपने तरफ ये सुझाव दिए हैं. सांगठनिक बदलावों को लेकर मिले सुझाव पर लगभग सहमति बन गई है. ये व्यवस्था आने वाले समय में शताब्दी वर्ष समारोह खत्म होने के बाद देखने को मिल सकता है.

संगठन के स्‍तर पर क्‍या होगा असर?

इस बदलाव का असर क्षेत्र प्रचारकों की संख्या पर भी पड़ेगा. वर्तमान में पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक क्षेत्र प्रचारक है, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए एक अलग क्षेत्र प्रचारक कार्यरत है. नई व्यवस्था में इन दोनों की जगह केवल एक क्षेत्र प्रचारक होगा, जो पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का कार्य देखेगा, हालांकि दोनों राज्यों के राज्य प्रचारक अलग-अलग होंगे. इसी तरह राजस्थान को अब संघ दृष्टि से उत्तर क्षेत्र (जिसमें दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब शामिल हैं) के साथ जोड़ा जाएगा. इस पूरे क्षेत्र के लिए एक ही क्षेत्र प्रचारक होगा. फिलहाल देशभर में संघ के 11 क्षेत्र प्रचारक हैं, जो नई संरचना लागू होने के बाद घटकर 9 रह जाएंगे. वहीं, पूरे देश में लगभग 75 संभाग प्रचारक होंगे. यह बदलाव संघ की बढ़ती गतिविधियों और कार्य विस्तार को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है.
संघ की बैठकों में क्‍या बदलाव?

इसके अलावा संघ की बैठकों की संरचना में भी बदलाव प्रस्तावित है. मार्च में होने वाली संघ की सबसे बड़ी बैठक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अब हर साल नहीं होगी. नए निर्णय के अनुसार यह बैठक हर तीन साल में नागपुर में आयोजित की जाएगी. हालांकि दीपावली के आसपास होने वाली अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हर वर्ष की तरह जारी रहेगी. सूत्र बताते हैं कि संघ की इस नई रचना पर पिछले 5–6 वर्षों से मंथन चल रहा था. लंबे विचार-विमर्श के बाद अब इन बदलावों पर सहमति बनती दिख रही है. माना जा रहा है कि मार्च 2026 में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में इन प्रस्तावों पर अंतिम मुहर लग सकती है और वर्ष 2027 से संघ में ये बदलाव ज़मीनी स्तर पर दिखाई देने लगेंगे.

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